Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में मारे गए बेंगलुरु बेस्ड इंजीनियर भारत भूषण की पत्नी डॉ. सुजाता ने कहा कि जब उन्होंने आतंकवादियों को गोलीबारी करते देखा और खतरे का आभास हुआ, तो उनके पति ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा: “चिंता मत करो, चिंता मत करो…मजबूत रहो।”
विनती करने के बावजूद मार दी गोली
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि भूषण द्वारा यह बताए जाने के बावजूद कि वह एक छोटे बच्चे का पिता हैं, आतंकवादी ने कोई दया नहीं दिखाई। क्रूर हमले को याद करते हुए सुजाता ने कहा कि वह टेंट के पास पारंपरिक कश्मीरी पोशाक देख रही थी, तभी एक आतंकवादी ने एक पर्यटक को गोली मारने के बाद आकर पूछा: “तुम यहाँ कैसे खुश हो जबकि हमारे बच्चे मारे जा रहे हैं और हम पीड़ित हैं? क्या तुम हमारे बारे में समाचार नहीं पढ़ते?”
सुजाता के अनुसार इसके बाद उसने एक और पर्यटक को मार डाला, फिर सुजाता के पति पर बंदूक तान दी और उसका नाम पूछा। उसने कहा, “मेरा नाम भारत है”, इसके बाद उसके सिर में गोली मार दी गई। उन्होंने आगे बताया, “हम 18 अप्रैल को कश्मीर पहुंचे थे और अपनी यात्रा के आखिरी दिन, 22 अप्रैल को हम पहलगाम गए। हम पहलगाम से लगभग 3-4 किलोमीटर दूर, घोड़े पर सवार होकर बैसरन गए। घास के मैदान में एक टेंट था, जहां कोई पारंपरिक कश्मीरी पोशाक पहनकर तस्वीरें ले सकता था।”
जैसे ही सुजाता टेंट के पास कपड़े देखने गई, उसने तेज़ गोलियों की आवाज़ सुनी। सुजाता ने बताया, “पहले तो हमें लगा कि गोलीबारी पक्षियों या जानवरों को डराने के लिए की जा रही है, लेकिन जैसे-जैसे उसकी तीव्रता बढ़ती गई, हमें लगा कि कुछ गंभीर है। मेरे पति, मेरा बेटा और मैं टेंट के पीछे छिप गए।”
आतंकियों ने यह बात कहकर मार दी गोली
सुजाता ने बताता, “हमारे छिपने की जगह से, हमने एक आतंकवादी को हिंदी में एक बुजुर्ग व्यक्ति से पूछते हुए सुना: ‘जब हमारे बच्चे यहां मर रहे हैं, तो आप यहां कैसे खुश रह सकते हैं? आप अपने बच्चों के साथ कैसे खेल सकते हैं और यहां कैसे मुस्कुरा सकते हैं?'” जवाब में, उस व्यक्ति ने कहा: ‘मुझे क्या करना चाहिए? मैं कैसे मदद कर सकता हूं?’ बिना कोई जवाब दिए, आतंकवादी ने उस पर गोली चलाई, उसे नीचे गिरा दिया और फिर कुछ और गोलियां दाग दीं।”
बाद में, आतंकवादी उस टेंट में चला गया जहां सुजाता का परिवार छिपा हुआ था। भूषण ही अपने बेटे को लेकर जा रहा था। उसने आतंकवादी से उन्हें छोड़ देने की विनती की, लेकिन उसने भूषण से बच्चे को अपनी पत्नी को सौंपने के लिए कहा और उसके सिर में तीन बार गोली मार दी।
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बाद में भूषण का राजकीय सम्मान के साथ हेब्बल विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया। सुजाता ने बताया, “मेरे पति को गोली मारने के बाद, आतंकवादी भाग गया। मैं तुरंत अपने पति के पास गई और उनका बटुआ लिया। हमारे पास बीएसएनएल का पोस्टपेड फोन था और एक बेंच पर हमारे बैग रखे थे। इसलिए, मैंने उन्हें उठाया और भाग गई।”
सुजाता ने कहा, “एक डॉक्टर होने के नाते, मुझे पता था कि सिर में गोली लगने के बाद वह बच नहीं पाएगा। मैं भागती रही और पीछे देखती रही कि कोई हमारा पीछा तो नहीं कर रहा है। चारों ओर बहुत सारी लाशें थीं। जब मैं पहाड़ी से नीचे आई, तो मैंने देखा कि बहुत से लोग इधर-उधर घूम रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं अपने बेटे और बैग के साथ घोड़े पर चढ़ गई और उसके बाद सीआरपीएफ ने हमारी देखभाल की।”