जब देश में लॉकडाउन लगा तो कई सारे लोग साइकिल से ही अपने-अपने घरों की तरफ निकल पड़े थे। ऐसे लोग कई लोगों को प्रशासन ने सहरानपुर में क्वारंटाइन किया था और फिर यहां से उन्हें जाने के लिए बस की व्यवस्था की गई थी। बताया जा रहा है कि करीब 11 हजार साइकिलें यहां मजदूर छोड़ कर गये थे। दो साल से अधिक वक्त से खड़ी हुई साइकिलों को प्रशासन ने नीलाम कर दिया तो ओवैसी भड़क गये। हालांकि प्रशासन ने इस पर कुछ और ही सफाई दी है।
ओवैसी ने ट्विटर पर इससे जुड़े एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि ‘सरकारी कम्पनियों को बेचते-बेचते अब गरीबों की साइकिल भी बेच दी जा रही हैं। भाजपा का वश चले तो ये सीधे-सीधे आपकी जायदाद में हिस्सा मांग लें।’ ओवैसी ने पियूष राय के उस ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें साइकिल का वीडियो शेयर किया गया और बेचे जाने की जानकारी दी गई है।
ओवैसी के ट्वीट पर लोगों की प्रतिक्रियाएं: अंकुर गोयल ने लिखा कि ‘ये साइकिल आप को दिलवा देता हूं, आप अपने घर पर खड़ी रहने देना।’ बजरंग नाम के यूजर ने लिखा कि ‘औवैसी आप बच के रहना, कहीं आपका नम्बर भी न आ जाये। बहुत बड़ी कायनात बना रखी है।’ मेराज नाम के यूजर ने लिखा कि ‘ये सब मनमानी करने के लिए ही तो धर्म के आधार नफरत फैला कर गंदी राजनीति की नींव मजबूत कर रहे हैं, इनको हटाया नहीं जाएगा तो नीलाम कर देंगे हर एक नागरिक को l’
नेहाल नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अब सरकारें मजदूरों की साइकिल बेच कर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को संभालेगी।’ पवन कुमार ने लिखा ‘नहीं तो इन साइकिलों का म्यूजियम बनवा दें क्या बैरिस्टर साहब?’ गुरुजीत सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जिस गरीब मजदूर की ये साईकल होगी, उसका सीना आज चौड़ा हो गया होगा क्योंकि उसका भी देश की GDP में योगदान गया है। बस थोड़ी देर में बीजेपी ऐसा बोल देगी।’
हालांकि सहरानपुर के डीएम ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान वापस जा रहे मजदूरों को यहां क्वारंटाइन किया गया था और उन्हें बस से भेजने की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने अपनी साइकिल यहां छोड़ दी थी, उन्हें एक टोकन दिया गया था। अब बार बार कहे जाने के बाद भी कई मजदूर साइकिल लेने नहीं आए और जहां साइकिल खड़ी थी, वह जगह भी खाली करनी थी। लिहाजा कबाड़ हो चुकी साइकिलों की नीलामी कर दी गई, जिससे 19 लाख रूपये की प्राप्ति हुई है।
डीएम ने बताया कि हम साईकिल मालिकों से सम्पर्क करने की कोशिश करेंगे, अगर उनसे सम्पर्क हो पाया और उन्होंने अपना अकाउंट नंबर हमें दिया तो हम जो भी इस राशि में उनका हिस्सा होगा, हम उन्हें दे देंगे। इस मामले को लेकर यह कहना कि प्रशासन ने धन अर्जित करने के उद्देश्य से नीलामी करवाई, यह गलत है।