मुहर्रम यूं तो मोहम्मद साहब के नाती इमाम हुसैन के बलिदान को याद करने के लिए मनाया जाता है। मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक ये गम मनाने का मौका होता है। ओडिशा कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से मुहर्रम के मौके पर ऐसा संदेश दिया जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर कांग्रेस की खिंचाई हो गई। कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, “विश यू ऑल ए वैरी हैपी एंड ब्लेस्ड मुहर्रम।” इस ट्वीट के साथ ही एक तस्वीर भी पोस्ट की गई है। इस तस्वीर पर हैपी मुहर्रम लिखा हुआ है। जैसे ही ये ट्वीट कांग्रेस ने पोस्ट किया तुरंत ही इस संदेश की आलोचना शुरू हो गई। एक यूजर ने लिखा, “हैपी मुहर्रम? क्या इसे गमजदा नहीं लिखा जाना चाहिए था।” एक यूजर ने लिखा, ” जैसे धान से गेंहूँ और आलू से सोना निकलता है ठीक वैसे ही #Muharram Happy होता है।” वहीं एक यूजर ने लिखा कि मुहर्रम हैपी कैसे हो सकता है मूर्खो।”
खास बात ये है कि इस ट्वीट को किये हुए लगभग 24 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक इसे ओडिशा कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से हटाया नहीं गया है। हालांकि इस ट्वीट के बाद इसी अकाउंट से नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए कई दूसरे ट्वीट भी किये गये। बता दें कि इस ओडिशा कांग्रेस का ये ट्विटर अकाउंट वेरीफाइड है और इस अकाउंट को लगभग 18 हजार लोग फॉलो करते हैं।
Wish you all a very happy and blessed MUHARRAM !! pic.twitter.com/2fJsnWSAmO
— Odisha Congress (@INCOdisha) September 21, 2018
Happy Muharram? Isn’t it supposed to be mourning? @INCOdisha pic.twitter.com/4DKpxSkwZO
— Gobar Ganesh (@vibestweets) September 22, 2018
जैसे धान से गेंहूँ और आलू से सोना निकलता है ठीक वैसे ही #Muharram Happy होता है।
— Narendra Dammy (@nkdammy) September 22, 2018
How can Mourning be “Happy” idiots?
— OnlyCongress (@CongressOnly) September 21, 2018
बता दें कि इस्लाम में मुहर्रम के महीने को बेहद पवित्र माना जाता है। ये महीना इस्लामी साल का पहला महीना होता हो। मुहर्रम महीने का दसवां दिन शिया मुस्लिम समुदाय के लिए पवित्र होता है। इस दिन शिया समुदाय के लोग मातम मनाकर अपने गम का इजहार करते हैं। शिया समुदाय के इस दुख का करबला की जंग से नाता है। बता दें कि कर्बला में मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और तत्कालीन खलीफा यजीद के बीच लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई में इमाम हुसैन ने अपने और अपने परिवार वालों की कुर्बानी दी थी। उन्हीं की याद में शिया समुदाय मुहर्रम के मौके पर उनके त्याग और बलिदान को याद करता है।