केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक सभा को संबोधित करते हुए राजनीति को लेकर एक ऐसा बयान दिया, जिससे वह सुर्खियों में आ गए। दरअसल, उन्होंने कहा कि कभी-कभी लगता है कि राजनीति छोड़ दूं, अब राजनीति केवल सत्ता के लिए होती है। उनके इस बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स भी तरह-तरह के सवाल करते नजर आ रहे हैं।
नितिन गडकरी का पूरा बयान
केंद्रीय मंत्री ने संबोधन के दौरान कहा कि अगर बारीकी से देखें तो राजनीति समाज के लिए है। समाज का विकास करने के लिए है लेकिन मौजूदा वक्त को अगर देखा जाए तो राजनीति का इस्तेमाल शत प्रतिशत सत्ता पाने के लिये किया जा रहा है। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि मुझे लगता है कि मैं राजनीति कब छोड़ूं और कब नहीं। क्योंकि जीवन में राजनीति के अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं जो कि करने लायक हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीति क्या है, हमें ये भी समझना चाहिए।
लोगों के रिएक्शन
संदीप कुमार नाम के एक टि्वटर हैंडल से सवाल किया गया कि पहले राजनाथ सिंह और अब नितिन गडकरी जी का बयान। क्या 2024 में कुछ बड़ा बदलाव देखने को मिलने वाला है। क्या भाजपा के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है? 2024 की राजनीति में कुछ बड़ा परिवर्तन हो सकता है। रामगोपाल सोनी नाम के एक यूजर ने केंद्रीय मंत्री को सलाह दी कि वह राजनीति नहीं बल्कि बीजेपी छोड़ दें। कुलदीप यादव नाम के एक यूजर ने पूछा – काहे हुजूर कहीं आप की भी हालत आडवाणी और राजनाथ सिंह जैसी तो नहीं हो रही है ना?
अनुभव शुक्ला नाम की एक यूजर सवाल करते हैं, ‘लगता है आप भी मोदी और अमित शाह की अराजकता से परेशान हो चुके हैं।’ आदित्य त्रिपाठी नाम के ट्विटर हैंडल से पूछा गया कि कहीं आप भी मार्गदर्शक मंडल में तो नहीं जाने वाले हैं? मनोज नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा – बीजेपी में नितिन गडकरी और सुब्रमण्यम स्वामी के अलावा कोई भी सच बोलने की हिम्मत नहीं रखता है। वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता पीसी शर्मा ने तंज कसते हुए कमेंट किया, ‘काश ये बात मोदी जी और आपके पार्टी के बाकी नेता समझ पाते।’
नितिन गडकरी ने कुछ दिन पहले भी दिया था ऐसा बयान
केंद्रीय मंत्री अक्सर ही अपनी बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि जो मुख्यमंत्री बनते हैं, वह इसलिए परेशान रहते हैं कि पता नहीं कब हटा दिए जाएं। आजकल हर किसी की समस्या है, हर कोई दुखी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि विधायक इसलिए दुखी है क्योंकि वह मंत्री नहीं बन पाए और मंत्री इसलिए दुखी है क्योंकि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिल पाया है। अच्छे विभाग वाले भी दुखी है क्योंकि वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाएं। मुख्यमंत्री इसलिए दुखी है क्योंकि उन्हें इस बात की चिंता है कि वह कब तक रहेंगे।