केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंदी दिवस के दूसरे दिन यानी 15 सितंबर को कहा कि हिंदी बोलने में उन्हें कंपकंपी छूटती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह बहुत झिझक के साथ हिंदी बोलती हैं। उनके द्वारा दिए गए बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स कई तरह की प्रतिक्रियाएं देते हुए तंज कस रहे हैं।

निर्मला सीतारमण का बयान

एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करने पहुंचीं निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुझसे पहले यहां के वक्ता ने घोषणा की है कि मैं हिंदी में बोलूंगी। जिसके बाद उन्होंने कहा कि हिंदी में लोगों को संबोधित करने में मुझे कंपकंपी होती है। उन्होंने कहा कि वह तमिलनाडु में पैदा हुईं और हिंदी के खिलाफ आंदोलन के बीच कॉलेज में पढ़ाई लिखाई की और हिंदी के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन भी देखा था।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पति की भाषा तेलुगु तो सीख ली है लेकिन कई कारणों के चलते वह हिंदी नहीं सीख पाई हैं। हालांकि इतना सब कुछ होने के बाद भी निर्मला सीतारमण ने 35 मिनट का भाषण हिंदी में ही दिया।

लोगों की प्रतिक्रियाएं

व‍ित्‍त मंत्री के इस बयान पर ट्वव‍ि‍टर पर लोग तरह-तरह के कमेंट करने लगे। अली नाम के ट्विटर हैंडल से कमेंट किया गया कि यकीन मानिए सुनने वालों को भी ऐसी ही कंपकंपी होती है, अब क्या महंगा करने आ गई हैं। रोहित नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया – भक्त गला फाड़कर कह रहे हैं कि हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया जाए। मोहम्मद तारिक नाम के ट्विटर यूजर कमेंट करते हैं, ‘हिंदी बोलने पर जीएसटी लगा दीजिए मैम, फिर सभी हिंदी बोलने वालों को हिंदी बोलने में भी कंपकंपी आएगी।’ विकास नाम के एक युवक लिखते हैं – कम से कम 50% टैक्स लगाइए तो फिर देखिए किसको कंपकंपी आती है।

सद्दाम सिद्दीकी नाम के ट्विटर यूजर द्वारा लिखा गया कि आपको तो बस हिंदी बोलने में कंपकंपी होती है, यहां तो आपके बोलने पर यह लोग डर जाते हैं कि आप कौन सी चीज पर जीएसटी लगाने जा रही हैं। रजनीश कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा कि अभी तो हम लोग हिंदी दिवस मना रहे थे।

सम्राट नाम के एक यूजर कमेंट करते हैं – अगर यही बात सोनिया गांधी ने कही होती तो अब तक ट्विटर पर सोनिया गांधी ट्रेंड हो रहा होता। राहुल संस्कृत यान नाम के एक यूजर ने कमेंट किया, ‘काश ये बात सोनिया, राहुल, प्रियंका या कांग्रेस या विपक्ष के किसी और नेता ने कही होती तो मैं भाजपा, संंबित पात्रा, AAP और सीएम अरविंद केजरीवाल के बयान को तरसता नहीं।