बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का नए सिरे से गठन किया है। संसदीय बोर्ड से नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेताओं की छुट्टी हो गई है। वहीं, बीएस येदियुरप्पा, के लक्ष्मण, सर्बानंद सोनोवाल, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव और सत्यनारायण जटिया जैसे नए चेहरों को जगह मिली है।
कौन हैं सुधा यादव?
सुधा यादव के पति सुखबीर सिंह यादव बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट थे और कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे। युद्ध के ठीक बाद लोकसभा चुनाव हो रहे थे। नरेंद्र मोदी तब हरियाणा में पार्टी के प्रभारी थे। उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल हो रही थी, लेकिन महेंद्रगढ़ सीट पर पेंच फंस गया। यहां कांग्रेस ने राव इंद्रजीत सिंह को मैदान में उतारा था। बीजेपी कश्मकश में थी। स्थानीय नेताओं ने सुधा यादव का नाम सुझाया।
पति की शहादत के बाद परिवार और बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी सुधा पर आ गई। वह राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। बाद में नरेंद्र मोदी ने खुद व्यक्तिगत तौर पर टेलीफोन से उनसे बात की और चुनाव लड़ने के लिए राजी करवा लिया था। सुधा यादव साल 1999 से लेकर साल 2004 तक लोकसभा सांसद रह चुकी हैं।
पीएम मोदी ने अपनी मां से मिले पैसे सुधा को दे दिये थे: पीएम मोदी ने न सिर्फ सुधा यादव को चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया बल्कि अपनी मां से मिले पैसे भी उन्हें दे दिये थे। Modistory.in को दिये एक इंटरव्यू में सुधा यादव कहती हैं कि “मेरे पति ने देश के लिए शहादत दे दी थी, उसके बाद बीजेपी के कई कार्यकर्ता मुझसे चुनाव लड़ने की अपील कर रहे थे लेकिन मैं हां नहीं बोल पा रही थी, क्योंकि राजनीति से मेरा दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं था। जब मैं नहीं मानीं तो उसमें से एक व्यक्ति ने मुझे एक नंबर देते हुए कहा कि इस पर एक बार बात कर लेना।’
सुधा ने बताया कि जब मैंने फोन किया तो सामने से नरेंद्र मोदी बात कर रहे थे। उन्होंने मुझे समझाया और कहा कि आपके पति भी देश सेवा का कार्य कर रहे थे और अब आप घर से निकलिए चुनाव लड़िये। मैंने उनसे कहा कि मेरे पास पैसे भी नहीं है तो उन्होंने कहा कि आप बस चुनाव लड़िये, बाकी मुझ पर भरोसा रखिये।’
सुधा यादव कहती हैं कि ‘इसके बाद जब मेरे नाम का टिकट जारी हो गया तो मैं नरेंद्र मोदी से मिलने गई, उस वक्त वो प्रदेश के प्रभारी थे। शायद वो किसी सांसद का घर था जिसके एक कमरे में नीचे गद्दा बिछाकर, कई किताबों और एक टेलीफोन के साथ नरेंद्र मोदी बैठे थे। उन्होंने मुझे बातें की। इसके बाद पहली मीटिंग गुड़गांव में रखी गई थी। जहां पर पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।’ सुधा यादव ने बताया कि इसके बाद मोदी जी ने जो किया, उससे मुझे इमोशनल लगाव हो गया।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘सुधा यादव जी चुनाव लड़ रही हैं और उनके पास चुनाव लड़ने के लिए कुछ नहीं है। मैं काफी वक्त बाद जब भी अपनी मां से मिलने जाता हूं तो वह मुझे कुछ पैसे देती हैं। मेरा सारा खर्च संगठन उठाता है। इसके बाद उन्होंने एक चद्दर बिछाई और कलश रखकर कहा, पिछली बार मुझे मां से 11 रूपये मिले थे, मैं इसे सुधा जी को चुनाव लड़ने के लिए योगदान करना चाहता हूं और इस सभा में ये सभी लोगों से अपील है कि घर पहुंचने के लिए पैसे बचाकर बाकी सब पैसे इस यज्ञ में आहुति दे दें।’
सुधा यादव ने बताया कि इसके बाद, मुझे चुनाव लड़ाने के लिए करीब साढ़े सात लाख रूपये मिले थे। इसके बाद मेरे समर्थन में अटल जी सभा की हुई थी। सभा के बाद अटल जी ने भी मुझसे कहा था कि मैं चुनाव जीत रही हूं और नरेंद्र मोदी जी ने भी कहा था कि सुधा जी आप चुनाव जीत रही हैं, बस थोड़ा धैर्य से प्रचार प्रसार कीजिये और हुआ भी वैसा ही। मैं वो चुनाव जीत गई थी।