Mumbai Boat Accident News: मुंबई नाव हादसे की खबर दिल को कचोट रही है, उस नाव में सवार वे 13 लोग जो मर गए वे आने वाले साल 2025 की तैयारी करने वाले थे। उनके सपने होंगे और कितनों ने तो अपने परिवार से कहा होगा कि पहुंच कर कॉल करता हूं, मैसेज करती हूं। उनके परिवार के लोगों को उनके घर लौटने का इंताजर होगा, आखिर उनकी क्या गलती थी जो इस तरह उनकी जान चली गई। कितनों घरों में अभी भी सन्नाटा पसरा है, घर की दीवारें सूनी हैं, उनके लौटने का इंतजार अब कभी खत्म नहीं होने वाला।

नाव हादसे में जिनकी जानें चली गईं, उनके अपनों के आंखों से बहने वाले आंसुओं का क्या? हर पल दिल में उठने वाली उस टीश का क्या जो उनके अपने खुद को बिना गलती के कोस रहे हैं कि काश हमने उन्हें जाने से रोक लिया होता। जाने वाले तो चले जाते हैं मगर नाव हादसे में मरने वाले वे 13 लोग एक-एक पल घुटे हैं, क्योंकि वे खुद को डूबते हुए देख रहे थे। उन्हें पता था कि वे मरने वाले हैं, मरने से पहले ही अपने मरने की जानकारी होना और आंखों के सामने पूरी जिंदगी को पल भर में गुजरते देखना आसान है क्या?

नाव हादसे को अपनी आंखों से देखने वाले चालकों ने जो बताया है वह दिल को चीर रहा है, जानकर आपका भी मन भारी हो सकता है। हम कुछ पल दुखी हो सकते हैं, कल्पना कर सकते हैं मगर अफसोस कर कुछ भी नहीं कर सकते। हादसों का क्या है, वे घटित होते हैं मगर जिनके साथ होता है, जिन परिवारों में होता है बस वे ही इस दर्द को समझ सकते हैं।

आखिरी पलों का वो दर्दनाक मंजर

पीटीआई रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई तट पर हुए नाव हादसे के बाद लोगों की मदद के लिए पहुंचे कुछ नाव चालकों ने जब घटनास्थल के हालात को देखा तो वे स्तब्ध रह गए, वहां लोग मदद के लिए गुहार लगा रहे थे। चालकों ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी भयावह घटना कभी नहीं देखी। नौसेना ने बताया कि बुधवार शाम करीब चार बजे मुंबई तट पर करंजा के पास इंजन परीक्षण के दौरान नौसेना के एक पोत ने नियंत्रण खो दिया और वह ‘नीलकमल’ नामक नौका से जा टकराया। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई, 99 लोगों को बचा लिया गया। यह नौका यात्रियों को गेटवे ऑफ इंडिया से लोकप्रिय पर्यटन स्थल ‘एलीफेंटा’ द्वीप पर लेकर जा रही थी।

“लोग हाथ उठाकर, रो रहे थे, चिल्ला रहे थे… बेसुध पड़ी थी बच्ची’

मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (एमबीपीटी) की पायलट नौका ‘पूर्वा’ के चालक आरिफ बामणे ने कहा, ‘‘जब हम वहां पहुंचे तो हालात बेहद भयावह थे। लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे और कुछ लोग तो रो रहे थे।’’ उन्होंने आगे बताया कि फेफड़ों में पानी भर जाने से एक छोटी बच्ची बेसुध अवस्था में पड़ी थी। चालक और अन्य बचावकर्मियों ने उसके पेट व छाती पर दबाव डालकर पानी निकालने का प्रयास किया। इसके बाद धीरे-धीरे उसकी सांसें सामान्य हो गईं। चालक ने बताया कि मछली पकड़ने के लिए उपयोग में आने वाली नौका और एक अन्य पर्यटक नौका उनसे पहले ही घटनास्थल पर पहुंच गई थी।

बामणे ने यह भी बताया कि बुधवार शाम को जब वह और उनकी टीम जवाहर द्वीप से मुंबई जा रहे थे, तभी नियंत्रण कक्ष से दुर्घटना की सूचना मिली। उन्हें जल्द से जल्द ‘जेडी5’ के पास घटनास्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया गया। उन्होंने आगे बताया कि उनकी नाव पर केवल चार लोगों के लिए जगह थी, लेकिन उन्होंने दूसरी नौका के पहुंचने से पहले लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने यह बताया कि हादसे का शिकार होने वालों में तीन से चार विदेशी नागरिक भी थे।

बामणे के अनुसार, ‘‘हमने ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने का प्रयास किया।’’ उन्होंने बताया कि लगभग 20-25 लोगों को बचाया गया, जिन्हें बाद में घटनास्थल पर पहुंची नौसेना की नौकाओं में ट्रांसफर कर दिया गया। नौका चालक के रूप में 18 सालों का अनुभव रखने वाले बामणे ने बताया कि उन्होंने पहले भी घटनाएं देखी हैं लेकिन बुधवार की घटना सबसे भयावह और दुखद थी।

‘मदद के लिए हाथ हिला रहे थे लोग’

बामणे ने यह भी कहा, ‘‘मेरी याद में यह अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान है।’’ छोटी पर्यटक नौका के चालक इकबाल गोठेकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उनकी नौका के ‘एलीफेंटा’ द्वीप से तीन बजकर 35 मिनट पर रवाना होने के 25 से 30 मिनट बाद उन्हें घटना के बारे में जानकारी हुई और वह दुर्घटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचने वालों में से एक थे। मूलरूप से रायगढ़ जिले के निवासी गोठेकर ने यह बताया कि हादसे का शिकार हुई नौका के यात्री मदद के लिए हाथ हिला रहे थे। उन्होंने आगे बताया कि जब वे घटनास्थल पर पहुंचे तो मछुआरों की एक नौका भी वहां आ गई।

गोठेकर ने आगे बताया कि उन्होंने 16 लोगों को बचाया और उन्हें गेटवे ऑफ इंडिया तक सुरक्षित पहुंचाया। बचाए गए लोगों को पुलिस चौकी ले जाया गया। गोठेकर ने कहा, ‘‘अपने करियर में मैंने ऐसी घटना कभी नहीं देखी।’’ सूत्रों के अनुसार, नौका की क्षमता 80 यात्रियों की थी और यह घटना से लगभग 45 मिनट पहले यह गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफेंटा द्वीप के लिए रवाना हुई थी। हादसा जवाहर द्वीप के पास हुआ। इस हादसे में 99 लोगों का बचा लिया गया मगर 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। जिस तरह से यह हादसा हुआ और इसका आखिरी मंजर दिल तोड़ने वाला है।

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