आपको जानकर यकीन होगा कि भारत में एक ऐसा भी गांव है जिसे विधवाओं का गांव कहा जाता है। दरअसल इस गांव की ज्यादातर महिलाएं अपने पति को खो चुकी हैं और विधवाओं का जीवन जी रही हैं। यह गांव है क्षेत्रफल के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे राजस्थान में। राजस्थान के बूंदी जिले का बुधपुरा गांव आज विधवाओं के गांव के नाम से कुख्यात हो चुका है।
क्यों कहा जाता है विधवाओं का गांव?
राजस्थान के बुधपुरा में बलुआ पत्थरों को तराशने का काम किया जाता है। हवा में भरी महीन सिलिका धूल वहां काम करने वाले लोगों के अंदर चली जाती है, जिससे फेफड़ों में संक्रमण होता है और अंत में ठीक और सही समय पर इलाज ना मिलने से इंसान दम तोड़ देते हैं। ऐसे ही बुधपुरा के कई पुरुषों की जान जा चुकी है और बड़ी संख्या में महिलाएं विधवा हो चुकी हैं।
किस बीमारी से गई अधिकतर जानें?
बूंदी हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने बताया कि आधे मरीज ऐसे आते हैं जिन्हें श्वास संबंधी बीमारियां होती ही हैं। उसमें से 50 प्रतिशत ऐसे होते हैं, जिन्हें सिलिकोसिस की बीमारी होती है। कुछ मरीज ऐसे होते हैं जो बेहद खतरनाक स्थिति में समझ पाते हैं कि उन्हें बीमारी है। बता दें कि बुधुपुरा की खदान अनियमित और सबसे असुरक्षित खदानों में से एक है। यहां काम करने वाले मजदूरों में फेफड़ों की घातक बीमारी सिलिकोसिस होने का जोखिम अधिक होता है।
एक महिला ने बताया कि उसके पति खदानों में काम करते-करते बीमार हो गये और उनकी मृत्यु हो गई। ऐसे ही कहानी कई महिलाओं की है। स्थिति यह है कि पति की जगह अब महिलाएं अपने बच्चों के साथ काम करने लगी हैं, जो दिन भर मेहनत करने के बाद 1000 रुपए की कमाई कर पाती हैं। पति की मौत के बाद जब महिलाओं की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है तो उन्हें मजबूरन खदान में काम करना पड़ता है।
वहीं कई ऐसी संस्थाएं भी हैं जो यहां के लोगों को हक दिलाने के लिए काम कर रही हैं। ऐसी ही एक संस्था से जुड़े पदाधिकारी ने बताया कि माइनिंग कंपनियों पर लोगों की मौत का कोई असर नहीं पड़ता, यही वजह है कि वह इनकी कोई देखभाल नहीं करते। इस ममाले में सरकार को भी सचेत होना पड़ेगा कि इतने लोग मर गये, कुछ तो करना होगा।