अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है।  बीते 10 वर्षों में भारतीय इकोनॉमी में 11वें पायदान से 5वें पायदान पर पहुंचा है। GDP के आंकड़ों में भारत की यह बढ़त वित्त वर्ष 2022-23 में भी दिखाई दी। भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर रही। 

अर्थव्यवस्था के इन आकड़ों के सामने आने के बाद केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि 2014 में जब हमारी सरकार नहीं थी और भारत बहुत भयावह स्थिति से गुजर रहा था। हर तरफ हम फिसले हुए थे। वहां से शीर्ष 5 की स्थिति में पहुंचना एक बड़ा पायदान है। हम यहां तक मेहनत कर पहुंचे हैं। 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना और उस स्थिति से ब्रिटेन जैसी अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उभरते बाजारों में भी हम चीन को पछाड़ रहे हैं।

लोगों की प्रतिक्रियाएं

सुशील मिश्रा नाम के यूजर ने लिखा कि आठ साल से आप लोगों का राज है, अगर इसे भी जोड़ दिया जाए तो आप लोग आठ साल में ही देश 40 साल पीछे धकेल दिया है। नन्द नाम के यूजर ने लिखा कि 2014 में हम कितने भी भयावह स्थिति में रहे होंगे लेकिन देश का एक भी नागरिक इतना मजबूर नहीं था कि उसे मुफ्त राशन पर पर निर्भर होने की जरूरत थी? आज 5वीं या पहली ही क्यों न बनी जाएं, हकीकत यही है कि 80करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं और मुफ्त राशन पर निर्भर हैं?

नवनीत नाम के यूजर ने लिखा कि हमारा रुपया थोड़ा और मजबूत हो जाए डॉलर के मुकाबले उसके बाद सारे विपक्षियों और कांग्रेसियों के मुंह पर हमेशा के लिए ताला लग जाएगा। विकास नाम के यूजर ने लिखा कि 2014 में जब भारत भयावह स्थिति से गुजर रहा था तब भी मनमोहन सिंह की सरकार आमजन पर बेतहाशा टैक्स लगाए बिना देश की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हांसिल कर रही थी। यहां अब आटे, दही तक पर जीएसटी लगाये जा रहे हैं।

हिमांशु नाम के यूजर ने लिखा कि फिर भी लोगों के पास पैसा नहीं, बेरोजगारी सबसे ज्यादा इसका जिम्मेदार कौन और महगाई चरम पर इसका ज़िम्मेदार कौन? सुरेन्द्र पाठक नाम के यूजर ने लिखा कि मतलब विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था को पांचवें स्थान पर लाना मोदी सरकार का महान कार्य है, अपने सरकारी आंकड़े को ही पढ़ लेती।