बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने खड़गे को ‘बलि का बकरा’ बता दिया। मायावती के इस बयान पर कांग्रेस नेत्री अलका लांबा ने पलटवार किया। आम सोशल मीडिया यूजर्स भी मायावती द्वारा दिए गए बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे
हैं।
मायावती ने दिया ऐसा बयान
मायावती ने ट्वीट के जरिए कांग्रेस पर कटाक्ष कर कहा कि, ‘कांग्रेस का इतिहास गवाह है कि उन्होंने दलितों व उपेक्षित ओं के मसीहा परम पूज्य बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर वाह उनके समाज की हमेशा उपेक्षा और तिरस्कार किया। इस पार्टी को अपने अच्छे दिनों में दलितों की सुरक्षा व सम्मान की याद नहीं आती बल्कि बुरे दिनों में इनको बलि का बकरा बनाया जाता है।’
मायावती यहीं नहीं रुकी। उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस पार्टी को अपने अक्षय दिनों के लंबे समय में अधिकांश गैर – दलितों को एवं वर्तमान की तरह सत्ता से बाहर बुरे दिनों में दलितों को आगे रखने की याद आती है। क्या यह छलावा नहीं है? लोग पूछते हैं कि क्या। यही है कांग्रेस का दलितों के प्रति वास्तविक प्रेम?
कांग्रेस नेत्री ने यूं किया पलटवार
मायावती के बयान पर कांग्रेस नेत्री अलका लांबा ने पलटवार कर लिखा, ‘ भाजपा की बौखलाई हुई बहन जी, खड़गे
जी का स्वागत करने के बजाए सत्ता से बाहर होने की अपनी खुन्नस अपने ही समाज के लोगों पर निकाल रही हैं। बहनजी मायावती राजनीति से रिटायरमेंट लो और आराम फरमा अपने महलों में… आपके बस की अब नहीं रही। मल्लिकार्जुन खड़गे को बधाई।’
कांग्रेस नेता चंदन यादव ने मायावती पर कटाक्ष कर कमेंट किया कि कांग्रेस ने अपने सदस्य को इस्तीफा दिला डॉ अंबेडकर को संविधान सभा भेजा, संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया और केंद्रीय मंत्री बनाया, राज्यसभा में भेजा। आजादी के पहले पार्टी कोष दलितों के स्कूल के लिए पैसे दिए, एससी – एसटी एक्ट दिया। आपकी तरह उनके नाम पर धन नहीं बनाया।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
कमल त्रिपाठी नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया कि आप विपक्षी दलों का साथ देने के बजाय बीजेपी से जाकर मिली हुई हैं। इसके पीछे का कारण भी सबको पता है। राय सिंह राजपूत नाम के एक यूजर ने लिखा – और आप खुद क्या कर रही हैं पिछले इतने सालों से बहन जी? रविंद्र नाम के यूजर ने कमेंट किया कि ईडी और सीबीआई के डर से बीजेपी वालों से मिल बैठी हैं। दलितों की चिंता होती तो आप यूपी चुनाव में सही से अपने उम्मीदवार खड़े करतीं।