जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) अक्सर ही किसी न विवाद की वजह से मीडिया की सुर्ख़ियों में बना रहता है। ऐसे में सोशल मीडिया (Social Media) पर जेएनयू (JNU) के दीवारों की कुछ फोटो सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल (Viral) हो रही है। जिसमें विरोधी ब्राह्मण नारे लिखे हुए हैं। गीतकार मनोज मुन्तशिर शुक्ला (Manoj Muntashir Shukla) ने इसको सनातन का अपमान बताया है। वहीं आम सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी इसको लेकर आपत्ति जताई है।
दीवारों पर लिखे गए ऐसे नारे
सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों में दीवारों पर कुछ ऐसे नारे लिखे दिखाई दे रहे हैं, ‘ब्राह्मण कैंपस छोड़ो’, ‘खून बहेगा’, ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ और ‘ब्राह्मण-बनिया, हम तुम्हारे लिए आ रहे हैं! हम बदला लेंगे।’ वहीं कई ब्राम्हण प्रोफेसरों के केबिन के बाहर लिखा गया है कि ‘शाखा में वापस जाओ।’ इस मामले को लेकर बीजेपी से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने वामपंथी स्टूडेंट यूनियनों पर इसका आरोप लगाया है।
प्राशासन ने दिए जांच के आदेश
मामला सामने आने के बाद JNU प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। एक्टिंग रजिस्ट्रार की तरफ जारी नोटिस में कहा गया कि कुलपति ने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएनयू में कुछ अज्ञात तत्वों द्वारा दीवारों और फैकल्टी रूम्स को विकृत करने की घटना को गंभीरता से लिया है। प्रशासन कैंपस में इन बहिष्कारवादी प्रवृत्तियों की निंदा करता है। ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा क्योंकि जेएनयू सबका है।
मनोज मुंतशिर ने किया ऐसा ट्वीट
गीतकार मनोज मुन्तशिर शुक्ला ने इस मसले पर लिखा कि ये है JNU University का सनातन विरोधी और भारत विरोधी चेहरा। दुख ये है, कि इस बारे में कोई बात नहीं कर रहा। एक जाति विशेष को टारगेट किया जाये और वो जाति अपने पक्ष के कुछ बोल दे, तो हम जातिवादी हो गए। मैं इस कायरता भरी चुप्पी से इनकार करता हुईं। अपने यूट्यूब चैनल पर बोलूंगा, कल।
लोगों ने भी किये ऐसे कमेंट्स
पत्रकार चित्रा त्रिपाठी ने इस मसले पर लिखा – दिमाग़ में ज़हर भर कर कैसे पढ़ रहे होंगे? परिवार ने भेजा होगा पढ़ कर अच्छा करियर बनाएगा बच्चा,और ये दीवार की पुताई कर रहे हैं। गीतकार रितेश राजवाड़ा ने इस पर आपत्ति जताते हुए कमेंट किया,”ये वही लोग हैं, जो एक तरफ़ नफ़रत के ख़िलाफ़ खड़े होने का दावा करते हैं दूसरी और नफ़रती आग उगलते हैं। और ख़ुद को सर्वाधिक लोकतांत्रिकता का पैरोकार घोषित कर लेने के प्रयोग में लिप्त बाएं हाथ का धड़ा चुप बैठ जाता है। सर्वाधिक जातिवाद का विरोध करने वाले इसपर चुप क्यों हैं?
पत्रकार अजीत त्रिपाठी ने लिखा,”JNU पृथ्वी पर एकमात्र विश्वविद्यालय है जो अपनी पढ़ाई लिखाई से ज्यादा हिंसा,दंगा, बवाल,उपद्रव,प्रदर्शन की वजह से चर्चा में रहता है कैंपस को नक्सलियों की शरणस्थली बनाओगे, गुंडों को शह दोगे, विचार तो दूषित होंगे ही।”