यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती ने मान्यवर कांशीराम की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान उनके साथ कई और बसपा कार्यकर्ता खड़े नजर आए। कांशीराम को पुष्प अर्पित करते हुए मायावती जूता पहने नजर आ रही हैं जबकि उनके साथ खड़े लोग नंगे पांव हैं। उनकी इस तस्वीर को लेकर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ट्रोल कर रहे हैं, वहीं कुछ उनका बचाव करते नजर आ रहे हैं।

अमिताभ अग्निहोत्री नाम के एक ट्विटर हैंडल से इस तस्वीर को शेयर कर लिखा गया कि इस चित्र को गौर से देखिए। ये आज सुबह का है, जब मायावती जी काशीराम जी की जयंती पर उनकी प्रतिमा और चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर रही थीं। इसमें मायावती जी के साथ आया हर व्यक्ति नंगे पांव है लेकिन मायावती जी जूते पहने हुए हैं। इस अवसर पर ये अखरने वाली बात है। सुनील नाम के यूजर ने तंज कसते हुए लिखा कि इसी को सिर्फ दिखावा कहते हैं, श्रद्धा नहीं।

धीरज सिंह ने कमेंट किया कि यही तो ढकोसला चल रहा है। जितेंद्र यादव लिखते हैं – पहले मान्यवर कांशीराम जी के सपनों को बेचा, अब मायावती ने मान्यवर कांशीराम का अपमान किया। क्या अभी दलित समाज इन्हें अपना नेता मानेगी? आशीष यादव कमेंट करते हैं कि कांशीराम के सपनों को तोड़ कर और उनकी बनाई पार्टी को गिरवी रखकर उन्हें नमन करने का ढोंग किया जा रहा है। काशीराम को सच्ची श्रद्धांजलि तब होती जब बहुजन की आवाज बुलंद की जाती लेकिन यहां तो पार्टी का ही सफाया करवा दिया।

मनीष सिंह ने मायावती का बचाव करते हुए लिखा कि एक दलित महिला इतनी ऊंचाइयों तक कैसे पहुंच गई है। यह लोगों को बहुत अखरता होगा। भेदभाव की वजह से ही मायावती की सरकार नहीं बन पाई। दलित समाज को गुमराह किया गया। रूद्र लिखते हैं – मायावती निजी जीवन में धार्मिक मान्यताओं को नहीं मानती इसलिए श्रद्धा सुमन अर्पित करते समय जूता चप्पल नहीं उतारती हैं।

कांशीराम मायावती को राजनीति में ले आए थे : जानकारी के लिए बता दें कि मायावती को राजनीति में लाने वाले दलित नेता कांशीराम थे। काशीराम ने जब मायावती को राजनीति में आने की बात कही थी तो उन्होंने बताया कि उनका सपना आईएस बनने का है। जिसके बाद कांशीराम ने कहा कि आप हमारे साथ आ जाओ, आप उस ऊंचाई तक जाएंगी, जहां पर सैकड़ों IAS आपके आदेश को मानेंगे।