कर्नाटक में हिजाब बनाम भगवा स्कार्फ का मामला गरमाता जा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इस मामले पर सियासत देखने को मिल रही है। पत्रकारों के बीच भी इस मसले पर दो फाड़ देखने को मिल रही है। एक वर्ग महिलाओं को अपना कपड़ा चुनने की आजादी का समर्थन कर रहा है तो दूसरा स्कूल में कॉमन यूनिफॉर्म के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया, ‘एक नए वीडियो में दिख रहा है कि किस तरीके से कर्नाटक में हिजाब पहने छात्रा का जय श्रीराम के नारे लगाते हुए कुछ लोग पीछा कर रहे हैं। ऐसी कट्टरता के चलते देश में ड्रेस, खानपान और धर्म के नाम पर बंटवारा हो जाता है। ऐसे वक्त में जब हमें युवाओं के रोजगार की चिंता करनी चाहिए, हम उनकी ड्रेस पर बहस कर रहे हैं…शर्मनाक।’

उन्होंने अगले ट्वीट में कर्नाटक पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘एक दूसरे वीडियो में लड़की अल्लाह-हू अकबर के नारे लगा रही है जबकि लड़के जय श्री राम का नारा लगाते हुए उसका पीछा कर रहे हैं। दूसरे वीडियो में दो गुटों के बीच पत्थरबाजी भी हो रही है। आखिर इस पूरे मामले में कर्नाटक पुलिस कहां है?’

पत्रकार रोहिणी सिंह ने तंज कसते हुए लिखा, ‘एक राष्ट्र-एक सोच, एक राष्ट्र-एक धर्म,एक राष्ट्र-एक भाषा, एक राष्ट्र-एक भगवान, एक राष्ट्र-एक नेता, एक राष्ट्र-एक संस्कृति, एक राष्ट्र-एक ड्रेस…नए भारत में आपका स्वागत है।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘घूंघट हो या हिजाब, इन प्रथाओं से मत भिन्नता ठीक है पर इसे आधार बनाकर आप किसी महिला का संवैधानिक हक नहीं छीन सकते। कर्नाटक की तस्वीरों ने देश को शर्मसार किया। तुष्टीकरण और नफरत की आग में पल रहे लोग जान लें कि लफंगई राष्ट्रवाद नहीं है। इसे आधार बनाकर अपना कुकर्म छिपा लोगे।’

वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा ने वीडियो शेयर कर टिप्पणी की, ‘ईश्वर करे मेरी बेटी भी ऐसी ही हो.. इतनी बहादुर कि इन जैसे गुंडों के आगे खड़े होकर हिम्मत से अपने ईश्वर को याद करे। जिन लोगों ने नौजवानों को इस पागलपन की हद तक पहुंचा कर उनके दिमाग में तेजाब भर दिया है, ईश्वर उनको कभी माफ नहीं करेगा।’

उधर, न्यूज़ एंकर अमन चोपड़ा ने लिखा, ‘लड़कियों की मर्जी’ वाला ये ऑफर सिर्फ़ हिजाब वाले मामले में है या अब मस्जिदों में महिलाओं की एंट्री में भी उनकी मर्जी चलेगी। किसी भी धर्म के अपनी पसंद के लड़के से शादी में भी उनकी मर्जी चलेगी। हर तरह की दकियानूसी सोच पर अब बेटियों की अपनी मर्ज़ी, अपनी च्वाइस होगी।’

टीवी पत्रकार और एंकर सुशांत सिन्हा ने लिखा, ‘कुछ ज्ञानी ज्ञान दे रहे हैं कि मसला “मेरी मर्ज़ी, मेरी ड्रेस” का है। तो क्या इस्लामिक धार्मिक स्थलों पर किसी की मर्ज़ी स्कर्ट पहनकर जाने की कर जाए तो ये मर्ज़ी चलेगी क्या? नहीं चलेगी न? वहां ‘ड्रेस कोड’ चाहिए होगा लेकिन स्कूल में ड्रेस कोड को मानने में दिक्कत है। गजबे है।’

सुशांत ने आगे टिप्पणी की, ‘तीन तलाक देने में लड़कों की चलेगी। मस्जिद में नो इंट्री में लड़कों की चलेगी। हलाला में लड़कों की चलेगी। बस कॉलेज में ड्रेस कोड न मानने में लड़कियों की चलेगी। वो भी इसलिए कि हिजाब पहनने की बात कर रहीं। कल को मिनी स्कर्ट पहनकर जाने को मर्ज़ी बता देंगीं तो फिर लड़कों की चलेगी।’

एंकर आनंद नरसिम्हन ने लिखा, ‘मामला शुरू हिजाब से हुआ, फिर अलग क्लासरूम की बात आई और अब अलग स्कूल की मांग…क्या हमनें पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यही सब नहीं देखा?’

आनंद नरसिम्हन ने महिला अधिकार कार्यकर्ता मलाला युसुफजई पर भी तंज कसा और पूछा, ‘क्या मलाला खुद इसी कट्टरता और विचार की शिकार नहीं थीं? या वो अपना नोबेल पुरस्कार लौटाकर अल कायदा/ISIS या तालिबान ज्वाइन करने की सोच रही हैं?