क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं? जब यह सवाल पूछा गया तो केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि मैं कभी आत्मसम्मान से समझौता नहीं करूंगा! दरअसल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक बयानबाजी भी तेज होती जा रही है। मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था।

मुख्यमंत्री बनने पर सिंधिया से पूछा गया सवाल

हाल ही टाइम नाउ नवभारत को दिए एक इंटरव्यू में नाव‍िका कुमार ने सिंधिया से सवाल पूछा कि क्या आप मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं? सिंधिया ने कहा- नाविका कुमार से मेरा पर‍िचय करीब 23 साल पुराना है और इस दौरान बार-बार उन्‍होंने मुझसे यह सवाल पूछा है। मुझे नहीं पता कि मैं कब अपने जवाब से इन्‍हें संतुष्ट कर पाऊंगा। इस पर नाव‍िका ने कहा- क्‍योंक‍ि आपने एक पार्टी छोड़ कर भाजपा ज्‍वॉयन की है।

मैं और मेरा परिवार कभी पद के पीछे नहीं भागा- सिंधिया

तब सिंधिया ने कहा कि मैने पद के लिए कांग्रेस को नहीं छोड़ा था। आप मेरे पिता को जानती हैं और शायद दादी को भी जानती होंगी। मेरा परिवार कभी भी पद के लिए नहीं भागा। सिंधिया ने कहा कि मैंने पद के लिए कांग्रेस को नहीं छोड़ा बल्कि सीएम की कुर्सी पर बैठे कांग्रेस नेता ने मेरी इज्जत नहीं की, इसलिए मुझे छोड़ना पड़ा। मैंने सिर्फ आत्मसम्मान की बात कही थी, ना कि पद या किसी कुर्सी की मांग की थी ।

आत्मसम्मान से कभी नहीं करूंगा समझौता- केंद्रीय मंत्री

सिंधिया ने कहा कि मैं कभी भी अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकता, मैं कुर्सी के पीछे नहीं भागता। मैं बस सेवा करना चाहता हूं। मैं राजनीति नहीं करना चाहता, मैं जनसेवा करना चाहता हूं। सिंधिया ने कहा, मेरे पिता हमेशा एक बात कहते थे कि जिन्दगी में कभी भी लक्ष्य राजनीति नहीं होनी चाहिए। लक्ष्य जनसेवा होना चाहिए। राजनीति बस एक माध्यम होनी चाहिए।

बता दें कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्री हैं। चुनाव से पहले यह सवाल उठने लगा है कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं और क्या वह इसी नजरिए से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? इसके जवाब में सिंधिया ने साफ कर दिया कि वह पद के पीछे नहीं भागते हैं।

कांग्रेस छोड़ भाजपा में हुए थे शामिल

कहा गया कि कांग्रेस नेताओं के साथ चल रही अदावत के चलते ही उन्होंने पार्टी छोड़ी। ऐसी भी चर्चा की गई कि सिंधिया मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन कमलनाथ को सीएम बना दिया गया। इसके कुछ महीने बाद ही वह अपने समर्थक विधायकों और नेताओं के साथ भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस सरकार गिर गई और भाजपा की सरकार बन गई थी।