बढ़ी फीस के विरोध में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने सोमवार 18 नवंबर को कैंपस से संसद तक मार्च निकालने की कोशिश की थी। पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए छात्रों को सफदरजंग मकबरे के पास ही रोक लिया। पुलिस के लाठी चार्ज में कई छात्र घायल हुए। कुछ छात्रों के सिर फूटे तो कुछ के शरीर में फ्रैक्चर आए। दिल्ली पुलिस ने सैकड़ों छात्रों को हिरासत में भी लिया। प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों पर पुलिस के लाठी चार्ज की कुछ तस्वीरें भी मीडिया में वायरल हुईं। इन तस्वीरों में कुछ छात्रों के खून से सने चेहरे भी दिखे।

प्रोटेस्ट कर रहे यूनिवर्सिटी के छात्रों पर पुलिस की लाठी चार्ज पर जनसत्ता.कॉम ने लोगों की राय मांगी। हमने फेसबुक के जरिए पोल कराया कि JNU के प्रदर्शनकारि‍यों पर लाठी चार्ज पुलि‍स की बर्बरता है या मजबूरी थी। इस पोल में हजारों फेसबुक यूजर्स ने भाग लिया। खबर लिखे जाने तक करीब 15 हजार लोग अपनी राय रख चुके थे।

इस पोल में हिस्सा लेने वाले 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों पर लाठी चार्ज दिल्ली पुलिस की बर्बरता है। वहीं 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि लाठी चार्ज पुलिस की मजबूरी थी।

लाठी चार्ज को मजबूरी बताने वाले यूजर्स का कहना है कि पुलिस की भी मजबूरी होती है। उसे अपने ऊपरवालों के ऑर्डर्स फॉलो करने पड़ते हैं। कुछ ने ये भी लिखा कि पुलिस को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए..कल को उनके बच्चों को भी इस तरह के संस्थान की जरूरत पड़ेगी।

छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज पर सोशल मीडिया दो हिस्सों में बंटा दिखा। कई यूजर्स लिख रहे हैं कि, ‘किसी भी संस्थान की फीस नहीं बढ़नी चाहिए..शिक्षा को मुफ्त करने की तरफ देखना चाहिए। ऐसे में अगर छात्र फीस बढ़ोतरी का विरोध करें तो उनके साथ इस तरह का व्यवहार निंदनीय है।’

वहीं बहुत से यूजर्स ऐसे भी हैं जो छात्रों पर लाठी चार्ज के समर्थन में हैं। इन लोगों का कहना है कि पुलिस ने जो किया वह बहुत अच्छा किया। ऐसे कुछ यूजर्स का ये भी कहना है कि जेएनयू के छात्र नियमों की धज्जियां उड़ा रहे थे इसलिए उनकी पिटाई होनी ही थी।

किसी का सिर फूटा तो किसी का टूटा पैर, JNU छात्रों पर पुलिस के लाठी चार्ज की तस्वीरें वायरल