नवरात्रि के दौरान गरबा कार्यक्रम में कई जगहों पर मुसलमानों की पिटाई की गई, उनपर आरोप लगाया गया कि ये गलत मकसद से पंडाल में आते हैं। गुजरात और मध्य प्रदेश में मुसलमान युवकों की पिटाई से संबंधित कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। एक तरफ जहां उन पर गलत मकसद के साथ पंडाल में घुसने का आरोप लगा कर पिटाई कर दी गई तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अब लोगों में भाईचारा खत्म हो गया है। पहले लोगों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होता था।

इस्लामिक स्कॉलर ने गरबा को लकर कही ये बात

टाइम्स नाउ नवभारत पर एक डिबेट शो के दौरान इस्लामिक स्कॉलर हाजिक खान ने कहा कि गरबा में मुसलमान लड़कों को नहीं जाना चाहिए। इस्लाम इस बात की इजाजत नहीं देता है। हमारे देश में 70 साल से एक दूसरे के त्यौहार में सभी जाते रहे हैं लेकिन 2014 से इस तरह हिंदू-मुसलमान को बढ़ावा दिया जा रहा है। संविधान भी हमें नहीं रोकता। मैं भी कई मंदिरों में गया हूं लेकिन कभी किसी ने रोका नहीं। देश को सुपरपॉवर बनाने के लिए हिंदू और मुसलमान को एक साथ रहना ही होगा।

हाफिज सरवर ने दिया ये जवाब

इस पर AIUMM के प्रवक्ता गुलाम हाफिज सरवर ने कहा कि लोग आरोप लगते हैं कि टीवी चैनल और भाजपा-आरएसएस के लोग लोगों में दूरियां बढ़ाने का काम करते हैं लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि मुस्लिम नेताओं ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां यह आरोप लग रहे हैं कि मुल्क के हालात बिगड़ रहे हैं, भाई चारा खत्म हो रहा है तो कुछ नेता ऐसे मुद्दों पर विवादित बयान देते हैं। धार्मिक त्यौहार पर अगर आप विवादित बयानबाजी करेंगे तो देश का ताना बाना अपने आप बिगड़ जायेगा।

गुलाम हाफिज सरवर ने कहा कि 2014 के बाद नरसंहार नहीं हुआ, दंगा नहीं हुआ। जब दंगे हो रहे थे तो इनके हिसाब से देश का वातावरण ठीक था और आज अगर वाकई वातावरण ठीक है तो बार-बार 2014 के बाद की बात क्या हो रही है? उन्होंने कहा कि 2014 के बाद अगर कुछ खत्म हुआ है तो वो ‘टोपी पहनाने’ का खेल! पारदर्शिता आई है, आपको अपना दीन मुबारक और हमें अपना दीन मुबारक! मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को “टोपी” पहनाने का मतलब तो पता ही होगा।

बता दें कि गरबा पंडाल में घुसे मुसलमान युवाओं की पिटाई पर सपा नेता टीएस हसन ने कहा कि गरबा धार्मिक आयोजन है। इसमें बिना इजाजत के मुस्लिम युवकों को नहीं जाना चाहिए। यदि वह चले भी गए तो उन्हें निकाल देना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा दिया है कि गरबा में 60 विदेशी राजदूतों को क्यों बुलाया गया। उनके सामने बहू-बेटियों की नुमाइश करना ठीक नहीं है। मुस्लिमों पर गरबा में जाने पर पाबंदी थी तो विदेशी राजदूत भी तो दूसरे धर्मों को मानने वाले ही थे। सपा नेता के इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया!