राजस्थान के किसान का बेटा जिसे पता नहीं था कि IAS क्या होता है, कलेक्टर क्या कहलाता है… उसने मां के आंसू देखे और अधिकारी बनने की ठानी। कहा जाता है कि अगर कोई कुछ करने की ठान ले तो वो चीज पाने से उसे कोई रोक नहीं सकता है। इस IAS अधिकारी की सच्ची कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इनकी कहानी से कोई भी प्रेरणा लेकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकता है। बचपन में इनकी मां मनरेगा में मजदूरी करतीं थीं, सरकार की तरफ से हर दिन के दो सौ रूपये तय थे मगर मां को कभी 60 तो कभी 70 रूपये ही मिलते थे।

एक दिन मां ने पानी लगाने का काम जानबूझ कर लिया था क्योंकि उसके 20 रुपये अधिक मिलते थे मगर उस दिन भी उनको कम ही पैसे मिले, वे घर आईं और बेटे को गले लगाकर रोने लगीं। बेटे ने पूछा तो उन्होंने सारी कहानी बताई, इसके बाद बेटा उस ऑफिस पहुंचा और मौजूद कर्मचारी से पूछा कि मेरी मां को मजदूरी के कम पैसे क्यों मिलते हैं तो उन्होंने ताना मारते हुए कहा, क्या तुम कहीं के कलेक्टर हो जाओ यहां से, यहां बहुत अधिक मजदूरों की संख्या है, तुम मत हिसाब करो।

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मीडिया से बात करके हुए हेमंत ने अपनी कहानी बताई है, उन्होंने बताया, मेरा नाम हेमंत है… मेरा जन्म गांव वीरान तहसील भादरा जिला हनुमानगढ़ राजस्थान में एक मजदूर परिवार में हुआ है। मेरी मां मनरेगा में दिहाड़ी-मजदूरी करती थीं और मेरे पिताजी थोड़ा बहुत कर्मकांड का कार्य करते। मैंने अपनी 10th तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से ही की। मैं JET की परीक्षा में फेल हुआ, दूसरी बार पास हुआ मगर एडमिशन के पैसे नहीं थे तो मैंने सीट छोड़ दी। इसके किसी ने कहा कि JBT का डिप्लोमा कर कर टीचर बन जा तो मैंने एडमिशन मगर पहले साल ही अंग्रेजी में फेल हो गया। दोस्त ने कहा ICAR का फॉर्म भरा पेपर अच्छा नहीं गया मगर परीक्षा कैंसिल हो गई। इसके बाद मैंने फिर से शुरुआत की, परिवार से झूठ बोलकर अंग्रेजी सीखने लगा। ICAR की दोबारा परीक्षा दी और श्री करण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर जयपुर से मैं अपना ग्रेजुएशन एग्रीकल्चर करने लगा।

मां के लिए स्टैंड लेने गया तो ताने मिले कि तू कहीं का क्लेक्टर है क्या?

हेमंत ने आगे बताया के वे नौकरी करके घर की जिम्मेदार लेना चाहते थे, एक दिन मां घर पर आईं और गले लगकर रोने लगी। पूछने पर पता चला कि सरकार उन्हें 200 रूपये एक दिन की मजदूरी देती है मगर उन्हें सिर्फ 60-70 ही दिए जाते हैं। मां ने आगे बताया कि मैं अपनी ड्यूटी पानी के लिए लगवाई थी, जिससे मुझे 20 रूपये ज्यादा मिलने थे लेकिन अब भी मुझे 60-70 ही मिले। हेमंत को यह बात बुरी लग गई और वे ऑफिस पहुंच गए और वहां मौदूद कर्मचारी से पूछा कि एक बार आप मुझे रिकॉर्ड दिखा दीजिए, तब वहां उनका मजाक उड़ाया गया और ताने मारे गए। वहां एक मौजूर एक शख्स ने कहा ज्यादा कलेक्टर मत बन…. मुझे नहीं पता था कि कलेक्टर और कंडक्टर में क्या फर्क है।

हेमंत ने आगे बताया, मैं मायूस होकर घर लौट आया, इसके बाद एक दिन मैं एक दिन कॉलेज गया तो वहां पर उस दिन रैगिंग चल रही थी, सीनियर सभी से पूछ रहे थे कि किसको क्या बनना है, लाइफ में क्या करना है? मेरी बारी आई तो मैंने कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या करना है तो उन्होंने ताना मारकर कहा कि IAS बन जाएगा… मैंने कहा हां सर बन जाऊंगा, बताइये मुझे क्या करना होगा क्योंकि तब मुझे कुछ पता नहीं था। मैंने मेरे भाई को फोन कर पूछा कि यह IAS क्या होता है, मुझे IAS बनना है। भाई ने पहले तो मुझे समझाया कि कोई और नौकरी कर ले मगर जिद देख मुझे यूट्यूब के लिंक भेजे।

मां मजदूर थीं, पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे…

एडमिशन के नहीं थे पैसे… दोस्तों ने मदद की, पापा ने कहा घऱ बेच दूंगा… मेरे लिए चार साल तक जयपुर कॉलेज में सर्वाइव करना कठिन रहा मेरी स्कॉलरशिप भी नहीं मिल रही थी। मेरे दोस्तों और सीनियर ने मेरी फीस भरी। मेरे समझ नहीं आ रहा था कि मैं दिल्ली जाऊं या घर चलाने के लिए नौकरी करूं। दिल्ली में मैं मेरे दोस्त जोगेंद्र सियाग के पास रहा, मैंने फिर निशांत सिंह (LEVEL UP IAS) से मुलाकात की और मैंने उनसे अपनी हालत बताई। मैंने कहा कि मुझे सोशियोलॉजी पढ़नी है मगर मेरे पास पैसे नहीं है, मैं बाद मैं लौटा दूंगा उन्होंने मेरे पर भरोसा किया और बिना पैसे लिए मुझे एडमिशन दे दिया। मैं प्री एग्जाम में पास हो गया, मैंने फिर मेन परीक्षा की तैयारी की और तीन महीने में मेरा रिजल्ट आ गया, मैंने इंटरव्यू की तैयारी की और फिर 2023 यूपीएससी में दूसरे अटेंप्ट में ऑल इंडिया में मेरी 884 रैंक आई। इस तरह मेरा और मेरे परिवार का सपना पूरा हुआ। कोई लक्ष्य बड़ा नहीं होता मगर उसे पाने के लिए इरादा बड़ा रखना चाहिए। अब इस खबर के बारे में जानकर लोग इस अधिकारी की तारीफ कर रहे हैं, लोग तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। खैर, इस खबर पर आपकी क्या राय है?

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