Ganga Jal Quality Check Viral Video: पूजा पाठ के दौरान किसी भी चीज की शुद्धीकरण के लिए हम गंगाजल का इस्तेमाल करते हैं। मान्यता हैं कि गंगाजल को छिड़कने मात्र से शुद्धीकरण हो जाता है। हालांकि, क्या हमने कभी ये सोचा है कि शुद्धीकरण के लिए इस्तेमाल होने वाला गंगाजल आखिर खुद कितना शुद्ध है।
गंगाजल में किसी तरह का कोई बैक्टीरिया नहीं
ऐसा ही विचार बीते दिनों एक इंफ्लूएंसर को आया और उसने हरिद्वार के गंगाजल का क्वालिटी चेक किया। हालांकि, जो परिणाम आए वो चौंकाने वाले हैं। अस्पताल के पैथलैब में माइक्रोस्कोप के नीचे 40x तक जूम करने के बावजूद ताजा गंगाजल में किसी तरह का कोई बैक्टीरिया नहीं दिखा।
ऐसे में उन्होंने पानी को 4 दिनों तक कल्चर करके फिर उसकी जांच करने का सोचा। हालांकि, चार दिन तक कल्चर कर जांच करने के बाद भी गंगाजल में किसी तरह का कोई बैक्टीरिया नहीं दिखा। इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए क्वालिटी चेक के इस वीडियो ने यूजर्स को हैरान कर दिया है।
गंगाजल जिसे प्रदूषण के कारण अशुद्ध माना जाता है, उसे शुद्ध पाकर यूजर्स चौंक गए हैं। वीडियो पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, “बैक्टीरियोफेज (गंगाजल में पाए जाने वाले) वायरस होते हैं जो विशिष्ट बैक्टीरिया को संक्रमित करते हैं और उनकी आनुवंशिक सामग्री को इंजेक्ट करके मार देते हैं, जिससे बैक्टीरिया फट जाता है और मर जाता है। इसकी खोज हमारे पूर्वजों ने की थी। यही कारण है कि गंगा जल शुद्ध होता है।”
IIT-कानपुर के छात्रों ने भी किया था शोध
एक अन्य यूजर ने लिखा, “गंगा जल कभी भी खराब नहीं होता। आप इसे हर दिन पी सकते हैं।” गौरतलब है कि IIT-कानपुर द्वारा हाल ही में किए गए एक स्टडी ने नदी के कुछ हिस्सों के पानी को पीने योग्य बताया है। स्टडी में गंगोत्री से ऋषिकेश तक के पानी का परीक्षण किया गया, जिसमें पाया गया कि ये पीने योग्य है।
शोधकर्ताओं ने भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित 28 मापदंडों का उपयोग किया, और पानी ने परीक्षण पास कर लिया, जिससे नदी की समग्र स्वच्छता पर सवाल उठने लगे। इस खोज ने विशिष्ट क्षेत्रों में गंगा के पानी की गुणवत्ता के बारे में कुछ उम्मीद जगाई है।
*जनसत्ता.कॉम वायरल वीडियो और उसमें दिखाए या साझा किए गए तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है। आलेख केवल खबर पहुंचाने के उद्देश्य से लिखा गया है।*
