Engineers Day 2018 India, M. Visvesvaraya Quotes: Google ने आज अपना Doodle महान इंजीनियर और भारत रत्न एम.विश्वेश्वरैय्या को समर्पित किया है। बता दें कि एम. विश्वेश्वरैय्या के सम्मान में ही आज के दिन हर साल इंजीनियर्स डे के रुप में मनाया जाता है। आज सर एम.विश्वेश्वरैय्या की 157वीं जयंती है। एम.विश्वश्वरैय्या का जन्म साल 1861 में मैसूर के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर इलाके के एक गांव मुद्देनहल्ली में हुआ था। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैय्या की प्रारंभिक शिक्षा बेंगलुरु के यूनाइटेड मिशन स्कूल में हुई। बेंगलुरु सेंट्रल कॉलेज से स्नातक होने के बाद उन्होंने पुणे इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री ली।

इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद एम. विश्वेश्वरैय्या ने भारतीय सिंचाई आयोग में काम शुरु किया। विश्वेश्वरैय्या को दक्कन पठार में जटिल सिंचाई व्यवस्था शुरु करने, पुणे के खडकवासला रिजर्वेयर को बाढ़ से बचाने की व्यवस्था और ग्वालियर में टिगरा बांध बनाने के साथ ही हैदराबाद में बाढ़ से बचाव की व्यवस्था बनाने का श्रेय एम. विश्वेश्वरैय्या को जाता है। अंग्रेजी शासनकाल में जॉर्ज पंचम के शासनकाल के दौरान साल 1909 में उन्हें ब्रिटेन के सबसे बड़े सम्मान में शुमार नाइटहुड उपाधि से भी सम्मानित किया गया था। अंग्रेजी शासनकाल के अधीन काफी साल काम करने के बाद वह फिर से अपनी मातृभूमि मैसूर लौट आए। उन दिनों मैसूर में जबरदस्त सूखा पड़ा हुआ था। ऐसे में सर एम. विश्वेश्वरैय्या ने कावेरी नदी पर मंड्या इलाके में एक बांध बनाने की योजना बनायी। जिससे ना सिर्फ इलाके में सिंचाई की दिक्कत दूर हुई बल्कि बिजली का उत्पादन भी हो सका।

इसके बाद साल 1911 में कावेरी नदी पर कृष्ण राजा सागर बांध के निर्माण का काम शुरु हुआ, जो कि साल 1914 में बनकर तैयार हुआ। बताया जाता है कि उस वक्त यह बांध एशिया का सबसे बड़ा बांध था। कृष्ण राजा सागर बांध आज भी पूरे मैसूर क्षेत्र, बेंगलुरु को पीने का पानी उपलब्ध करा रहा है। एम. विश्वेश्वरैय्या मैसूर के दीवान भी रहे। उनके दीवान रहते ही मैसूर में मैसूर की मशहूर साबुन फैक्ट्री, बेंगलुरु कृषि विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर पेपर मिल्स, बेंगलुरु प्रेस और मैसूर चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना की गई। एम. विश्वेश्वरैय्या को साल 1952 में भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया। 12 अप्रैल, 1962 में एम. विश्वश्वरैय्या इस दुनिया से विदा हो गए।