लखनऊ सुपर जायंट्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच एक मई 2023 को हुए मैच में विराट कोहली, गौतम गंभीर और युवा क्रिकेटर नवीन-उल-हक के बीच हुई बहस के बाद से ही सोशल मीडिया पर लोग कई तरह के कमेंट करते नजर आ रहे हैं। कुछ लोग विराट के समर्थन में हैं तो वहीं कुछ लोगों ने गौतम गंभीर के सपोर्ट में अपनी बात कही है। इस बीच DDCA के पूर्व अध्यक्ष व पत्रकार राजत शर्मा ने अपने एक शो में गौतम गंभीर पर टिप्पणी की। जिसके बाद क्रिकेटर व बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने ट्वीट कर जवाब दिया।
पत्रकार रजत शर्मा ने विराट कोहली का किया समर्थन
पत्रकार रजत शर्मा ने होने एक शो में विराट कोहली का समर्थन करते हुए कहा,’गौतम गंभीर को मिर्ची लगी. चुनाव लड़कर, एमपी बनकर गौतम गंभीर का अहंकार और बढ़ गया। विराट की लोकप्रियता उन्हें कितना परेशान करती है, ये कल ग्राउंड में साफ-साफ एक बार फिर नज़र आया। विराट कोहली एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जो हमेशा अग्रेसिव रहते हैं। वह किसी भी तरह की नॉनसेंस बर्दाश्त नहीं करते इसलिए उन्होंने गौतम गंभीर को बराबर का जवाब दिया।’
इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि कुल-मिलाकर गौतम गंभीर ने जो किया, वो स्पोर्ट्समैन स्पिरिट के खिलाफ है। ना एक फॉर्मर प्लेयर को शोभा देता है, ना एक मेंबर ऑफ पार्लियामेंट को। ऐसी घटनाओं से क्रिकेट का नुकसान होता है और ये नहीं होना चाहिए था। पत्रकार का यह वीडियो वायरल होने के बाद गौतम गंभीर ने ट्ववीट किया।
गौतम गंभीर ने किया ऐसा ट्वीट
गौतम गंभीर ने पत्रकार द्वारा की गई टिप्पणी के बाद ट्ववीट किया,’ दबाव” का हवाला देकर दिल्ली क्रिकेट से भागा हुआ आदमी क्रिकेट की चिंता जताते हुए पेड पीआर कर रहा है। यही कलयुग है जहां ‘भगोड़े’ अपनी ‘अदालत’ चलाते हैं।’ गौतम गंभीर के इस ट्वीट के बाद ही सोशल मीडिया पर लोग कई तरह के कमेंट करते हुए उनका ट्वीट शेयर करने लगे। कुछ लोगों ने पत्रकार को ट्रोल करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी तो वहीं कुछ लोगों ने गौतम गंभीर के पर सवाल उठाये।
जानकारी के लिए बता दें कि कि रजत शर्मा लगभग 20 महीने के लिए DDCA के प्रेसिडेंट रहे थे। जिसके बाद उन्होंने नवंबर 2019 में इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। इस्तीफे के बाद रजत शर्मा ने कहा था,’यहां का क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन दबाव और खींचतान से भरा हुआ है। मुझे लगता है कि क्रिकेट के इंस्ट्रेस्ट के खिलाफ़ यहां साजिशें चलती रहती हैं। ऐसा लगता है कि मेरे सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और पारदर्शिता के सिद्धांतों के साथ यहां बने रहना संभव नहीं होगा।’