पूर्व रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह अक्सर सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर हमला करते हुए नजर आते हैं। उनके इस आलोचनात्मक ट्वीट के कारण उन पर अब तक 7वीं एफआईआर भी दर्ज की गई है। अपने ऊपर हुए एक एफआईआर पर उन्होंने कहा कि यह तानाशाही तंत्र मुझे किसी दिन नेता ना बना दे।

हाल में ही रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने एक वॉइस रिकॉर्डिंग ट्विटर पर शेयर की थी। इसमें दो शख्स मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन में ट्वीट करने पर पैसों की लेन-देन की बात कर रहे थे। जिसके बाद उन पर इस मामले में भी एफआईआर दर्ज की गई थी।

गंगा नदी में मिले शव के मामले में भी उन्होंने ट्वीट किया था। जिसके बाद बलिया पुलिस ने 12 मई को उन पर एफआईआर दर्ज कर दी थी। इस मामले में बलिया पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजकर बयान दर्ज करने के लिए तलब किया है।

जिसके बाद उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि यूपी सरकार ने इस बार एफआईआर सबसे दूर के जनपद बलिया में की है। कल पुलिस आई थी बलिया तलब किया है। उन्होंने कहा कि छोटे से छोटा मार्ग लूं तो भी आने जाने में 15 से 16 घंटे लगेंगे। नियत परेशान करने की है। क्या यही लोकतंत्र है ?क्या यही अभिव्यक्ति की आजादी है?

अपने ऊपर हो रहे लगातार एफआईआर से दुखी होकर उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि मैं बस एक शरारती बालक था, पिताजी की डांट ने मुझे मेहनती छात्र बना दिया, छात्र जीवन में की गयी मेहनत में मुझे IFS, IPS और IAS बना दिया, शासन में व्याप्त भ्रष्टाचार ने मुझे बागी अफसर बना दिया और अब लगता है तानाशाही तंत्र FIR कर कर के किसी दिन मुझे नेता ना बना दे।

उन्होंने ट्विटर के जरिए अपने जूनियर अधिकारियों पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि मैं अपने जूनियर अफसरों से काफी निराश हूं, कि उन्हें कानून तक की जानकारी नहीं है। फिलहाल खबर यह है कि उन्नाव वाले मामले में ही मेरे ऊपर 7वीं एफआईआर बलिया में भी हो चुकी है और आज बलिया पुलिस मेरे घर आकर मुझे थाने आने का नोटिस दे गई। लगता है मोस्ट वांटेड का तमगा मिलने ही वाला है।