जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व नेता शहला रशीद ने कहा है कि जिस तरह से जिन्ना ने धर्म के आधार पर दो देशों का सिद्धांत दिया था, यही सिद्धांत आरएसएस और हिन्दू महासभा भी फॉलो करती है। न्यूज चैनल आज तक के टीवी डिबेट में शहला रशीद ने कहा कि वह निजी तौर पर धर्म के आधार पर देश बनाने के सिद्धांत का समर्थन नहीं करती हैं। शहला रशीद ने कहा, “इस देश की सामूहिक चेतना में बंटवारा एक दुखद अध्याय है, मैं धर्म के आधार पर किसी देश को बनाने के पक्ष में नहीं हूं, लेकिन जिस तरह से ये मारपीट हो रही है, जो लोग ऐसा कर रहे हैं ये एकदम गलत है।”

शहला रशीद ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिन्दू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सिन्ध और बंगाल में सरकार बनाई थी। शहला ने कहा, “ये जो आरएसएस टाइप की मानसिकता है ये भी उसी टू नेशन थ्योरी को सपोर्ट करती है, तो अगर जिन्ना टू नेशन थ्योरी को सपोर्ट करते हैं तो ये जो RSS, हिन्दू महासभा हैं ये भी टू नेशन थ्योरी को सपोर्ट करते हैं और आज जो ये मारपीट करके करना चाह रहे हैं, जो साबित करना चाह रहे हैं वो सिविल वार की सिचुएशन हिन्दुस्तान में खड़ा कर रहे हैं।”

जब उनसे शो में पूछा गया कि तस्वीर होनी चाहिए या नहीं, तो उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अभी यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं अगर किसी भाजपा सांसद को दिक्कत होती है तो वो सीधे राष्ट्रपति कोविंद जी को लिखे, ये मार पिटाई क्या होता है, कैंपस में घुसकर मार पिटाई का क्या मतलब है? ये गुंडागर्दी का माहौल है, इन्हें सरकार से छूट मिली है।”  बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ के दफ्तर में 1938 से पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी है। बीजेपी समेत कई दक्षिणपंथी संगठन इस तस्वीर को वहां से हटाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन एएमयू छात्र संघ इसके खिलाफ है। इस मामले पर यूनिवर्सिटी में हिंसक झड़प भी हो चुकी है। अलीगढ़ पुलिस को इस मामले पर लाठीचार्ज भी करनी पड़ी थी। जिन्ना की तस्वीर के समर्थन में एएमयू छात्र धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं।