प्राणायाम योग का एक भाग है, जिसे करने से शरीर की कई तरह की बीमारियां दूर होने का दावा किया जाता है। प्राणायाम मूलत: संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ सांसों पर नियंत्रण होता है। लगभग सभी भारतीयों को प्राणायाम के बारे में जानकारी होती है। कहा जाता है कि सुबह में योग के आसनों के बाद हर व्यक्ति को प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। इसके अभ्यास से सर्दी, जुकाम, अस्थमा, कफ संबंधी विकार से राहत, गुस्सा, बैचैनी, तनाव और एसिडिटी से छुटकारा सहित कई लाभ मिलते हैं। यह भारतीयों के लिए आम बात है, लेकिन एक विदेशी मैगजीन ने ‘प्राणायाम’ को नया नाम ‘कार्डियक कोहेरेंस ब्रीदिंग’ दे इसके लाभ के बारे में समझाया। इसके बाद भारतीयों ने विदेशी मैगजीन की क्लास लगा दी।
भारतीयों ने लिखा कि यह योग है, कोई वैज्ञानिक खोज नहीं। एक यूजर ने लिखा, “शुरूआत में वे हमें क्रेडिट देते हैं। इसके बाद वे पेटेंट करा लेते हैं और फिर 20-30 साल बाद वे इसे अपना बताने लगते हैं।”
Yeah. It’s called “pranayam”. It’s part of Yoga. For once recognize something instead of appropriating .
— Tanvi Narula (@tanvinarula6) January 27, 2019
एक अन्य यूजर ने लिखा, “ये ‘कार्डियक कोहेरेंस ब्रीदिंग’ नहीं है। इसे प्राणायाम कहा जाता है। भारत में यह लंबे समय से किया जाता रहा है। हिंदुओं का आइडिया चुरा उसका नाम बदलना छोड़ो।”
Huh? It’s not “cardiac coherence breathing.” It’s called Pranayama and it’s been around for a long time in India. Quit stealing Hindu ideas and then renaming them.
— Hindu Americans (@HinduAmericans) January 27, 2019
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी मैगजीन के इस ट्वीट पर रिट्वीट किया है और लिखा, “भारत के 2500 साल पुराने प्राणायाम को 21वीं सदी में ‘कार्डियक कोहेरेंस ब्रीदिंग’ नाम से बताया जा रहा है। पश्चिम को हमारी पुरानी परंपरा को सीखने में सदियों लग गए। लेकिन, हम उनका स्वागत करते हैं।”
Detailed description of the benefits of the 2500-year-old Indian technique of pranayama, dressed up in 21st c. scientific language as “cardiac coherence breathing”! It’s taking the West a few millennia to learn what our ancients taught us millennia ago, but hey, you’re welcome… https://t.co/LLltRZ3pP5
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 29, 2019