यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट का विस्तार किया गया। इस नई कैबिनेट में 7 नए चेहरों को जगह दी गई है। कैबिनेट विस्तार के ऐलान के बाद यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में सीएम और राज्यपाल के लिए दो कुर्सी लगाई गई थी। जिसमें सीएम की चेयर पर भगवा रंग का तौलिया रखा गया था।
इसी को लेकर अखिलेश यादव की पार्टी के नेता आईपी सिंह ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि राजभवन में महामहिम बगल में रखी योगी जी की कुर्सी पर चाटुकारों ने अलग से ‘भगवा तौलिया’ रखवा दिया। क्या यह राज्यपाल महोदया का अपमान नहीं? संवैधानिक मूल्यों का अपमान नहीं? क्या अब योगी जी संविधान और राज्यपाल महोदया तक का सम्मान नहीं करेंगे?
पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह ने इस फोटो पर तंज कसते हुए कहा है कि यूपी में योगी जी संत हैं, राज्यपाल महोदया तक के कार्यक्रम में इनकी कुर्सी पर अलग से तौलिया लगती है। मैं तो कहूँगा यह परंपरा दिल्ली में भी जारी रहे, अगली बार जब प्रधानमंत्री जी से मिलें तो बगल वाली कुर्सी पर तौलिया रख कर बैठें, बस उसके बाद सिद्धि प्राप्त हो जाएगी।
@ansulyadav नाम के ट्विटर एकाउंट से इस तस्वीर पर कमेंट करते हुए लिखा गया कि भगवा डाल लेने से कोई साधु नहीं हो जाता। कर्म, क्रोध, लोभ, मोह से परे साधु संत होते हैं यह तो लोग लोभी हैं।
एक ट्विटर यूजर सीएम योगी आदित्यनाथ के इस तस्वीर पर लिखते हैं कि किस धर्म शास्त्र में लिखा है कि योगी या साधु कही बैठेंगे तो भगवा आसन पर ही बैठेंगे। भगवा वस्त्र कभी आसन नही हो सकता। और अगर ये सम्भव है तो केवल धार्मिक कार्यो में। मुख्यमंत्री के तौर पर यह अनुचित है। @Abhijitrai9696 टि्वटर हैंडल से कमेंट किया गया है कि योगी जी एक बात सही बोलते हैं कि विरासत में कुर्सी मिल सकती है लेकिन बुद्धि नहीं। एक ट्विटर यूजर सपा नेता के ट्वीट पर लिखते हैं कि चाटुकारिता कौन करता है यह आपसे ज्यादा कौन जानता होगा। खैर एक अच्छी विपक्ष की तरह अच्छी मुद्दे उठाओ और जनता की आवाज बनो। ननंद भौजाई बनके ही लड़ते रहते हो।