मध्य प्रदेश के भोपाल में तैनात एक आईएएस (IAS) और आईपीएस (IPS) दंपति के घर में 2…4 नहीं बल्कि 56 कॉन्स्टेबल नौकरी पर रखे गए हैं। दैनिक भास्कर के एक रिपोर्ट के मुताबिक विशेष सशस्त्र बल (SAF) मध्य क्षेत्र भोपाल की DIG कृष्णा वेणी देशावतु और उनके पति श्रीकांत बनोट (DIG Krishna Veni Deshavatu and Shrikant Banot) के घर पर 56 कॉन्स्टेबल घरेलू काम के लिए रखें गए हैं। श्रीकांत बनोट माध्यमिक शिक्षा मंडल में हैं। इस खबर को लेकर सोशल मीडिया यूज़र्स कई तरह के सवाल उठा रहे हैं।

रिपोर्ट में किया गया ऐसा दावा

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि आईएएस और आईपीएस दंपति के घर में लगाए गए 56 कॉन्स्टेबल पोछा लगाने से लेकर कपडा धुलने तक का काम करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, घर में तैनात 56 कॉन्स्टेबल के ऊपर सरकारी खजाने से हर महीने लगभग 27 लाख रुपए निकाले जाते हैं। इस रिपोर्ट पर किये सवाल पर DIG कृष्णा वेणी देशावतु ने कहा कि मेरे घर पर नियम के अनुसार ही ट्रेड आरक्षक तैनात किये हैं, 40 – 45 लोगों का तो सवाल ही नहीं उठता है।

लोगों के रिएक्शन

सोशल मीडिया पर आयी इस खबर पर सोशल मीडिया यूज़र्स कई तरह के रिएक्शन देते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि सरकार को ऐसे अधिकारीयों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जनता का पैसा इस तरह से क्यों उड़ाया जा रहा है? पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने इस खबर पर लिखा,”मध्य प्रदेश में IPS-IAS दंपती के घर पर 56 कांस्टेबल ड्यूटी पर, इनसे जूते पॉलिश, कपड़े धोने से लेकर पोछा लगाने तक के सारे काम लिए जा रहे थे —बताइये ये नौकरशाह मुगले आज़म से कम हैं क्या?” @AshishDarbhanga नाम के एक ट्विटर यूजर ने कमेंट किया- अकबर का जूता सिपाही साफ नहीं करता था. इतनी औकात तो मुगल आज़म की भी नहीं थी।

@RupenderaS नाम के एक ट्विटर यूजर ने पूछा- ये पर्सनल आंखों से कोई देख के आये थे क्या? @AmitRanja8 नाम के एक यूजर ने लिखा,”इसलिए राजमन्नार आयोग ने इस सेवा को खत्म करने के बारे में सुझाव दिया था। अब यह लोक सेवा का माध्यम नहीं होकर बस एक प्रतिष्ठा और श्रेष्ठता का प्रतीक बन गया है।इनकी सुविधाओं की लिस्ट इतनी लंबी है और इनकी लॉबी इतनी तगड़ी होती है, कोई कुछ बोल नहीं सकता। @06Paritosh नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि पुलिस एक्ट 1861 के परिणाम। हम आज आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे हैं लेकिन फिर भी अंग्रेजों के जमाने का गुलामी वाला पुलिस एक्ट आज भी लागू है। कभी सोचा है कि यह आज तक क्यों लागू है इसीलिए क्योंकि कोई भी सरकार नहीं चाहती कि पुलिस उसके हाथों की कठपुतली ना रहे।

@surajtiwari_0 नाम के एक ट्विटर यूजर लिखते हैं कि इसी ऐशों आराम के लिए ही तो बनते हैं कप्तान और कलेक्टर, समाज नहीं खुद का भला और मौज के लिए। @Rk25647836 नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया,”आईएएस आईपीएस को इतनी सुविधाएं क्यों दे रखी हैं? क्या ये सारा खर्च उनकी तनख्वाह से होता है या जनता के पैसे का दुरूपयोग करके किया जा रहा है। इन सब सुविधाओं को सरकारी खर्च पर देने का तर्क क्या है।