CRPF जवान को लेकर एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानने के बाद हर कोई हैरानी जता रहा है। इस सिपाही ने बिन बताए छुट्टी ली तो नौकरी चली गई और फिर इसने ऐसी वजह बताई की दोबारा नौकरी की बहाली भी हो गई। दरअसल, सच्ची घटनाओं से पाला पड़ता है जिसके बारे में जानकर हम हैरान हो जाते है। यह मामला भी कुछ ऐसा ही है। एक सीआरपीएफ कर्मी ने बिना किसी को बताए 196 दिनों की लंबी छुट्टी ले ली। छुट्टी लेने के बाद जब काम पर लौटा तो उसकी नौकरी जा चुकी थी। हालांकि उसने हार नहीं मानी और मामले को लेकर कोर्ट गया।
अब इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने सीआरपीएफ कर्मी के पक्ष में फैसला सुनाया है। दरअसल, कर्मी ने कोर्ट के सामने अपना पूरा पक्ष रखा। उसने बताया कि वह कैंसर पीड़ित मां की देखभाल करने के लिए छुट्टी पर था। उसकी मां को उसकी जरूरत थी। वह अपनी मां को इस हाल में अकेला नहीं छोड़ सकता था।
इसके बाद पटना उच्च न्यायालय ने कैंसर से पीड़ित अपनी मां की देखभाल के लिए 196 दिनों तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण सेवा से बर्खास्त किए गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कर्मी को बहाल करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति पी.बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार पांडे की पीठ ने मंगलवार को सीआरपीएफ के बर्खास्त सिपाही सुमित कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा, “संबंधित प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपीलकर्ता की सेवा को बहाल करें और कानून के अनुसार सेवाओं को विनियमित करें।”
नौकरी हुई बहाल
अदालत ने सिपाही पर बर्खास्त किये जाने के बजाए जुर्माना लगाने का आदेश दिया। साथ ही तीन महीने की अवधि के भीतर आदेश का पालन करने को भी कहा। अदालत ने आगे कहा कि कई मौकों पर अपीलकर्ता ने डाक के माध्यम से छुट्टियों के विस्तार की मांग की लेकिन उसे 196 दिनों की अवधि के लिए बिना किसी स्वीकृत छुट्टी के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने (23 मई 2012 से चार दिसंबर 2012) के कारण भगोड़ा घोषित कर दिया गया और अपीलकर्ता की ड्यूटी से अनधिकृत अनुपस्थिति के कारण विभागीय जांच शुरू हुई। विभागीय जांच ने आलोक कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया।
मां कैंसर से थीं पीड़ित
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस फैसले को बरकरार रखा था, जिसके बाद कुमार ने खंड पीठ के समक्ष फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी। पीठ ने कहा, “वर्तमान मामले में अपीलकर्ता को ड्यूटी से अनुपस्थित पाया गया और उसने स्पष्टीकरण दिया कि उसकी मां को कैंसर हो था और उसने अपनी मां के इलाज के लिए छुट्टी के लिए आवेदन किया था और यह उसके नियंत्रण से बाहर था।”
पीठ ने आदेश में कहा, “हमें मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों में अपीलकर्ता के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना होगा कि अपीलकर्ता के पास नियुक्ति स्थान छोड़ने का कारण है।” अदालत ने एकल पीठ द्वारा एक अप्रैल 2019 को पारित किये गये आदेश को रद्द कर दिया साथ ही उसकी बर्खास्तगी के आदेश को भी निरस्त कर दिया।