कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने अपने टि्वटर हैंडल से कोरोना से मौत पर मुआवजा ना दे पाने के फैसले पर अपनी तीखी टिप्पणी देते हुए ‘मोदी सरकार’ को बेशर्मी की एक पर्यायवाची बताया।
दरअसल कोरोना महामारी से जान गंवाने वालों के परिजन को मुआवजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर दिया है। इसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना से जिनकी मौत हुई है, उनके परिवारों को सरकार 4 लाख रुपए का मुआवजा या आर्थिक मदद के तौर पर नहीं दे सकती। इतना पैसा खर्च करने से कोरोना से लड़ने में सरकार की कोशिशों पर असर पड़ेगा। इसी खबर पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘बेशर्मी के कई पर्यायवाची होते हैं, आज से ‘मोदी सरकार’ भी एक है। मोदी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफ़नामा -‘कोरोना मृत्युओं के लिए मुआवज़ा देना सम्भव नहीं’।
बेशर्मी के कई पर्यायवाची होते हैं, आज से ‘मोदी सरकार’ भी एक है
मोदी सरकार का सुप्रीमकोर्ट में दिया हलफ़नामा-“कोरोना मृत्युओं के लिए मुआवज़ा देना सम्भव नहीं” pic.twitter.com/UcLmivwjm2
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) June 21, 2021
उनके इस ट्वीट पर एक यूज़र ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि, ‘बेशर्मी की इंतहा हो गई क्या आपने राम मंदिर के लिए चंदा दिया ? तो आपको मंदिर के बारे में सवाल पूछने का कोई हक नहीं तो ठीक इसी प्रकार सरकार धीरे से कह देगी क्या कोरोना से आपके घर में कोई मरा? तो आप को मुआवजा मांगने का कोई अधिकार नहीं। वाह क्या मास्टर स्टॉक हैं’।
शीतल केशरवानी नाम के एक यूजर ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए लिखा कि, ‘ये बेशर्म जनता पार्टी हैं। मजदूरों को कोई हिसाब नही, आम जनता का कोई साथ नही। सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रो के लिए ये मोदी सरकार आई है’।
चुनावी रैलियों पर खर्च होने वाले पैसों को लेकर एक यूजर ने सवाल उठाते हुए लिखा कि, ‘मुआवजा के लिए पैसा नहीं तो चुनाव के लिए भी नहीं होना चाहिए देखते है 2022 में भाजपा की रैलियों में कितना खर्च होगा’? वहीं अनिल कुमार यादव नाम के यूजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक निवेदन करते हुए लिखते हैं कि, ‘नरेंद्र मोदी जी आप कुछ करिए या ना करिए, लेकिन बेवजह की मंहगाई या तो कम करिए अन्यथा त्यागपत्र दे दीजिए। अब ना हम कोई विश्व गुरु चाहिए और ना ही शेर पालने की हमारी हैसियत है। हम अपनी नमक रोटी में पहले भी खुश थे, आगे भी खुश रहेंगे, बस बेवजह की सरदर्दी नहीं चाहिए’।
बालवीर पायल नाम की एक यूजर लिखती है कि वो तो विधायक खरीदने। स्विस बैंक में जमा करने, अपने लिए काजू की रोटी खाने, घूमने के लिए जहाज खरीदने, और रहने के लिए महल बनवाने के लिए ही संभव है।