उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नमाज और सूर्य नमस्कार एक समान बताने के बाद से ही ये मामला सुर्खियों में बना हुआ है। बुधवार को योग महोत्सव में बोलते हुए कहा था कि दोनों की मुद्राएं एक जैसी हैं। योग किसी जाति, धर्म, उम्र और लिंग का मोहताज नहीं है। इसके बाद से कई टीवी चैनल और सोशल मीडिया पर ये मामला चर्चा में बना हुआ है। बाबा रामदेव ने योगी कि इस बात का समर्थन किया तो वहीं मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस तुलना से नाखुश नजर आए। एक निजी चैलन में बोलते हुए कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने योगी आदित्यनाथ की सूर्य नमस्कार को लेकर कहीं पुरानी बातों का जिक्र किया। बतौर प्रियंका योगी जब सांसद थे तब उन्होंन सूर्य नमस्कार को लेकर कहा था, ” 2015 में सूर्य नमस्कार को लेकर विवाद में कहा था कि जो सूर्य नमस्कार में यकीन नहीं रखते हैं उन्हें समुद्र में डूबा देना चाहिए या काली कोठरी में डाल देना चाहिए। इतने बड़े मंच से वो योगा के बारे में बात कर सकते थे, योगा के फायदे के बारे में बात कर सकते थे। सूर्य नमस्कार के बारे में बात कर सकते थे। जिन मतभेदों के लिए सम्मान 2015 में नहीं था 2017 में कैसे आ गया। तो दूसरों पर उंगली उठाने से पहले जरा अपनी गिरेबान में झांके।”
#Hallabol, @priyankac19: 2015 में आदित्यनाथ ने सूर्यनमस्कार के बारे में कहा था कि जिसको इसमें विश्वास नहीं उसे समुद्र में फेंक देना चाहिए pic.twitter.com/UvQnDAxjui
— AajTak (@aajtak) March 30, 2017
इससे पहले योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा था कि, ‘अगर आप सूर्य नमस्कार करते हुए देखेंगे तो आपको यह वैसे ही लगेगा, जैसे मुस्लिम नमाज पढ़ते हैं। सूर्य नमस्कार में जितने आसन आते हैं, उसमें जो प्राणयाम की क्रियाएं हैं वो मुस्लिम भाई जो नमाज पढ़ते हैं, उससे मिलती-जुलती हैं। दोनों एक दूसरे से मिलती हुई प्रक्रिया हैं। लोगों ने दोनों को आपस में जोड़ने की कभी कोशिश की नहीं की।’ योगी ने कहा, साल 2014 से पहले योग की बात सांप्रदायिकता थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को दुनिया तक पहुंचाया है। साथ ही उन्होंने सांप्रदायिकता के बारे में भी अपने विचार रखे। योगी ने कहा कि हमें तय करना होगा कि वास्तव में सांप्रदायिक कौन है? योग महोत्सव में योगी आदित्यनाथ के साथ योग गुरु बाबा रामदेव भी मौजूद थे।