कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के सांसद बेटे कार्तिकेय चिदंबरम ने कहा है कि PMO के यूट्यूब चैनल की कमाई को लेकर सरकार खासी सतर्कता बरत रही है। उनका कहना है कि वो संसद में इसे लेकर सवाल पूछना चाहते थे लेकिन उन्हें बोलने की अनुमति ही नहीं दी गई। वो जानना चाहते हैं कि सरकार इस तरह का रवैया इस मामले में क्यों दिखा रही है?

अपनी पोस्ट में चिदंबरम ने पूछा कि क्या चैनल पर विज्ञापनों को चलाने की अनुमति दी गई थी। उनका केंद्र से सवाल था कि क्या इसके कंटेन्ट को मोनेटाइज्ड किया गया था, इससे किसी तरह का राजस्व मिला था? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या इनकी स्क्रीनिंग भी की जाती है?

चिदंबरम ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि प्रधानमंत्री के यूट्यूब चैनल के बारे में उनके प्रश्न को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया है कि यह भारत सरकार का विषय नहीं है। उनका सवाल था कि यह चौंकाने वाली बात है कि पीएमओ के आधिकारिक चैनल की सरकार चिंता नहीं करती है।

उधर, पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी के यूट्यूब चैनल के सब्सक्राइबर की संख्या एक करोड़ से ज्यादा हो है। जबकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के यूट्यूब पर 5.25 लाख फॉलोअर हैं। सोशल मीडिया पर शशि थरूर भी खासे सक्रिय रहते हैं लेकिन उन्हें केवल 4.39 लाख लोग ही फॉलो करते हैं। इस मामले में दोनों मोदी से बहुत पीछे हैं। यही नहीं सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर भी कोई और नेता पीएम मोदी के आसपास नहीं है। मोदी को फॉलो करने वाले लोगों का आंकड़ा दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं की तुलना में कहीं ज्यादा है।

वैश्विक नेताओं से पीएम मोदी के फॉलोअरों की तुलना की जाए तो संख्या हैरत में डालती है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के यूट्यूब पर सात लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं। वहीं ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो को 36 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। मैक्सिको के राष्ट्रपति को 30.7 लाख और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को 28.8 लाख लोग यूट्यूब पर फॉलो करते हैं। कहने की जरूरत नहीं कि पीएम मोदी इस मामले में बहुत आगे हैं।