Encephalitis (Chamki Fever) Symptoms, Causes, Precautions: बिहार में चमकी बुखार या एक्यूट इंफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से करीब सवा सौ बच्चों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा मौतें मुजफ्फरपुर जिले में हुई। पिछले कुछ दिनों से यह राष्ट्रीय मीडिया, खास कर टीवी चैनलों की भी सुर्खियां बना है। तभी स्वास्थ्य मंत्री ने मुजफ्फरपुर का दौरा किया और उसके बाद मुख्यमंत्री भी वहां पहुंचे। टीवी चैनलों के पत्रकार एसकेएमसीएच (श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) के आईसीयू में जाकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं। ऐसी ही एक रिपोर्टिग का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है। इसमें आज तक चैनल की एंकर अंजना ओम कश्यप डॉक्टर को हड़काने के अंदाज में सवाल करती दिख रही हैं। इस पर लोग तरह-तरह की टिप्पणी कर रहे हैं। एक डॉक्टर ने तो यहां तक टिप्पणी कर दी कि ऐसे मीडियावाले ही डॉक्टरों के खिलाफ हिंंसा को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार हैं।
क्या है वीडियो में: एक बच्चे को आईसीयू में लाया जाता है। आईसीयू में हर जगह बच्चे बेड पर इलाजरत हैं। वहां मौजूद डॉक्टर दूसरे बच्चे का इलाज कर रहे थे। तभी टीवी एंकर ने डॉक्टर से कहा, ‘बताइए सर, आपलोग कैसा इंतजाम किए हैं। बच्चा यहां पर है। कोई यहां निर्देश देने वाला नहीं है। अगर आपके पास यहां इलाज करने के लिए जगह नहीं है तो आप पहले इसे दूसरे वार्ड में भेज सकते थे। ट्रॉली पर बच्चे को लाने वाला व्यक्ति कहता है, ‘हम लोगों को बताया ही नहीं जाता है कि बच्चे को कहां लेकर जाएं। रजिस्ट्रेशन होने के बाद हम इसे यहां लेकर चले आते हैं।’
डॉक्टर को रोकते हुए टीवी एंकर कहती हैं, ‘डॉक्टर साहब कहां जा रहे हैं आप। अब आप क्या कीजिएगा? अभी सीएम यहां से गए हैं और तब ये हालत है। अगर मैं माइक ऑन नहीं करती, आप मुड़ के एक घंटे तक नहीं देखते। आप चुपचाप उधर देख रहे थे। बच्चे का कोई सुध नहीं ले रहा था।’ डॉक्टर ने कहा, ‘यह केस अभी-अभी आया है। मैं दूसरे बच्चे को देख रहा था। मैं बैठा हुआ हूं क्या? आपने देखा, बताया, अच्छा किया।’
this is @aajtak @anjanaomkashyap reporting.
This is the kind of media promoted voilence against doctors.
Is providing the infrastructure also now doctor responsibility? Look at the doctor patient ratio?
What can 1 doctor do with 100 patients admitted@IMAIndiaOrg @NitishKumar pic.twitter.com/ROrwof9REJ— Dr kafeel khan (@drkafeelkhan) June 18, 2019
एंकर ने कहा, ‘मैं यहां अच्छी बात करने नहीं आयी हूं। मैं ये देखने आयी हूं कि बच्चे की जान की कीमत इस देश में बची है या नहीं बची है। मैं आपको दोष नहीं दे रही हूं, लेकिन जो इंतजाम है, वो भी तो समझ में आए। आपलोग कुछ सिस्टम तो बनाइएगा।’ डॉक्टर ने कहा, ‘यहां पर बच्चों को देखा जा रहा है। ऐसा कोई नहीं है, जिसे हम नहीं देखेंगे। यह बच्चा अभी तो आया ही है। जहां तक रखने की बात है, जगह नहीं होगी तो एक बेड पर दो-दो बच्चे रहेंगे।’
एंकर ने कहा, ‘यहां हर थोड़ी देर में मौत हो रही है। बच्चा पड़ा हुआ है और आप कह रहे हैं कि हम देख लेंगे।’ डॉक्टर ने कहा, ‘हमने ये तो नहीं कहा कि देख लेंगे।’ एंकर ने कहा, ‘इलाज कीजिए डॉक्टर साहब। कोशिश कीजिए कि सबको सही जगह ले जाया जाए।’
वीडियो पर सवाल: गोरखपुर के डॉक्टर काफिल खान ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ‘यह आज तक की अंजन ओम कश्यप की रिपोर्टिंग है। इस तरह के मीडिया डॉक्टरों के प्रति हिंसा को बढ़ावा देते हैं। क्या आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना भी डॉक्टर की जिम्मेदारी है? डॉक्टरों और मरीज के अनुपात को देखिए। जब 100 मरीज भर्ती हो तो उस समय एक डॉक्टर क्या कर सकता है?’
सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इस वीडियो पर तंज किया है। टि्वटर यूजर @PerwejOfficial ने लिखा, ‘सत्ता से सवाल पूछने की हिम्मत तो नहीं है, बेचारे डॉक्टर पर रौब झाड़ रही हैं।’ @AshwinWaskel ने लिखा, ‘डॉक्टर को अपनी ड्यूटी बताने से पहले खुद यह देख लेना चाहिए कि वे स्वयं अपनी ड्यूटी सही से निभा रहे है या नहीं, यह कवरेज आपने शुरुआती दिनों में करा होता तो शायद आज आपको डॉक्टर से सवाल पूछने की जरूरत नहीं पड़ती। कुछ जर्नलिस्ट के कवरेज वीडियोज क्या वायरल हुए, आप तो लगी कॉपी करने।’
@MdRaqueeb17 ने लिखा, “कम संसाधन और चिकित्सा व्यवस्था की बदहाली के बावजूद अपने भरसक बच्चों की बचाने की कोशिश में जुटे जूनियर डाक्टरों को लताड़ने की बजाय ये वक़्त है जब कोई चैनल अपना चौपाल लगाए और सीएम नीतीश कुमार को गेस्ट बुला कर लताड़े। उन पर चिल्लाए। वो न आएं तो वो भी बताएं। पर इसके लिए माद्दा चाहिए।”
पहले एक और वीडियो हुआ था वायरल: अंजना ओम कश्यप से पहले टीवी 9 भारतवर्ष के पत्रकार अजित अंजुम का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें भी वह आईसीयू के अंदर से रिपोर्टिंग करते दिखे थे। उनके इस वीडियो की तारीफ भी हुई थी और कुछ लोगों ने यह सवाल भी उठाया था कि उन्हें आईसीयू के अंदर से रिपोर्टिंग करने की क्या जरूरत थी? क्या उन्हें मरीजों की सुविधा का ख्याल नहीं आया?
बता दें कि मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच सुपरिटेंडेंट की ओर से 19 जून की दोपहर दिए गए बयान के मुताबिक उनके अस्पताल में 372 बच्चे दाखिल हुए और इनमें 93 की एईएस से मौत हुई है। 118 को डिस्चार्ज किया जा चुका है। 57 को 19 जून की शाम तक अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली है।