राम मंदिर के लिए अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन वापस करने के लिए केंद्र सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा रहा था। लेकिन पांच जजों की बेंच ने इस पर गौर नहीं किया। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि पीवी नरसिम्हा राव ने इसे विशाल राम मंदिर बनाने के लिए लिया था। उन्होंने मोदी सरकार को विश्वासघाती बता तंज कसा।
राज्यसभा सांसद ने भगवान राम का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि अमित शाह ने इस कदम को ऐतिहासिक करार दिया था। उनका सवाल था कि हम सरकार के इस विश्वासघात को किस नजरिए से देखें। उनका कहना था कि जनता को सारी चीजों को पता चल गया है। सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई ड्राफ्ट एप्लीकेशन एस गुरुमूर्ति ने तैयार की थी, जो मोदी के करीबी थे। उन्होंने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद किया है।
याद रहे कि पिछले 2019 लोकसभा चुनाव से ऐन पहले केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि के आसपास की 67.390 एकड़ अधिग्रहित भूमि उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया था। तब केंद्र सरकार ने अपने आवेदन में कोर्ट के 2003 के आदेश में सुधार का अनुरोध किया था। अब फिर से सरकार सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगा रही थी कि वो जमीन को उसके मालिकों को लौटाने की अनुमति दे।
Move to Return Excess Land in Ayodhya to Owners ‘Historic’: Shah https://t.co/r89FuwGFo9 : Now public knows what we escaped from, thanks to the 5 judges deciding to ignore it. The draft Application was prepared by S Gurumurthy.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 26, 2021
Centre moves SC seeking nod to return 67-acre land in disputed Ayodhya site to original owners!!PVNR had got it nationalised to enable a vishal Ram Temple complex. How do we explain this perfidy of Modi Govt ? Thank Lord Rama for making it fail. https://t.co/o4zIYSbovf
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 26, 2021
अयोध्या में छह दिसंबर 1992 से पहले 2.77 एकड़ जमीन के एक हिस्से में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा मौजूद था जिसे कारसेवकों ने गिरा दिया था। तत्कालीन केंद्र सरकार ने 1993 में 2.77 एकड़ सहित 67.703 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी। इसमें रामजन्म भूमि न्यास उस 42 एकड़ भूमि का मालिक था जो विवाद रहित थी और जिसका अधिग्रहण कर लिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2003 के अपने आदेश में 67 एकड़ अधिग्रहित भूमि सहित समूची भूमि के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। तब से ये भूमि सरकार के पास थी।