CBSE ने कक्षा 11 और 12 के इतिहास एवं राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से कुछ बदलाव किए हैं। जानकारी के मुताबिक, अब इन पाठ्यक्रमों में गुटनिरपेक्ष आंदोलन, शीतयुद्ध के दौर, अफ्रीकी एवं एशियाई क्षेत्रों में इस्लामी साम्राज्य के उदय, मुगल दरबारों के इतिहास समेत औद्योगिक क्रांति से संबंधित अध्याय को हटाने का फैसला लिया गया है।

मिली जानकारी के मुताबिक कक्षा दसवीं के ‘धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति-सांप्रदायिकता धर्मनिरपेक्ष राज्य’ खंड से फैज अहमद फैज की दो उर्दू कविताओं के अंश को भी पाठ्यक्रम से बाहर करने का फैसला लिया गया है। सोशल मीडिया पर लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। तनवीर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बच्चों बताओ ताज महल किसने बनवाया, लाल किला, कुतुबमीनार, किसने बनवाया? यह वो इतिहास है जिसको पढ़ने से नहीं, देखने से पता चल जाएगा।’

दिनेश यादव नाम के यूजर ने लिखा कि ‘क्या आज की युवा पीढ़ी को ये जानने का हक नहीं है कि जब राणा प्रताप, शिवाजी जैसे वीर मुगलों से लड़ रहे थे तो वो थे वो लोग, जो मुगलो के राग दरबारी थे और मुगलो की तरफ से इन के खिलाफ युद्ध करते थे।’ प्रशांत भारती नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सिर्फ CBSE में ही क्यों, UPSC और अन्य जगह भी मुगलों का महिमामंडन खत्म होना चाहिए। हमारे यहां क्या योद्धाओं/वारियर्स की कमी हो गयी, जो विदेशी आक्रांताओं का इतिहास पढ़ा रहे हैं।’

पीयूष नाम के यूजर ने लिखा कि ‘बहुत अच्छा, भारत के क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ाया जाए।’ संजीव झा नाम के यूजर ने लिखा कि ‘इससे सराहनीय कार्य और क्या हो सकता है, वेल डन!’ बलराम नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अब व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से प्राप्त ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा।’ अभिमन्यू नाम के यूजर ने लिखा कि ‘मुगलों के साथ-साथ अंग्रेजों को भी हटा दो, उनको क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए।’

त्रिलोक सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि ‘जो लोग पहले पढ़ चुके हैं, उनका क्या करना है ये भी बता दो?’ हलीम नाम के यूजर ने लिखा कि ‘पहले के भाजपा नेता स्व .अटल बिहारी वाजपेयी जी फैज अहमद फैज को गले लगाते थे पर आज की भाजपा और RSS को डर लगता हैं फैज अहमद फैज से।’ प्रीतम नाम के यूजर ने लिखा कि ‘तो कांग्रेस का इतिहास पढ़ाया जाएगा, जैसे राजस्थान में पढ़ाया जा रहा है।’