बिहार में फ्लोर टेस्ट के पहले कथित जमीन रेलवे नौकरियों के मामले में सीबीआई ने राष्ट्रीय जनता दल के सांसद असफाक कारीम, फैयाज अहमद और एमएलसी सुनील सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की है। जिसको लेकर आरजेडी नेताओं ने नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष किया है। इसी बीच कांग्रेस नेता प्रमोद आचार्य ने भी कमेंट किया। जिस पर लोग तरह-तरह के रिएक्शन देते नजर आ रहे हैं।
आचार्य प्रमोद ने लिखी यह बात
कांग्रेस नेता ने अपने ट्विटर पर लिखा कि बिहार में पासा पलटने के बाद बादशाह के सर्वाधिक पसंदीदा नर्तकी सीबीआई का नंगा नाच शुरू। कांग्रेस नेता द्वारा किए गए इस पर कुछ लोग उनकी बातों का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोगों ने तंज कसते हुए कमेंट किया है। कुछ ट्विटर यूजर ने कांग्रेस नेता पर कटाक्ष करते हुए लिखा कि आप लोग भी भ्रष्टाचारियों का सहयोग देने में लगे हुए हैं।
लोगों के रिएक्शन
अनिल कुमार शर्मा नाम के ट्विटर यूजर 12 कमेंट किया गया कि सीबीआई और ईडी की जांच में जिस प्रकार अकूत संपत्ति और असलहे मिल रहे हैं। उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि जांच मैं विरोधियों का गिरेबान पकड़ने का वक्त आ गया है। जहां तक बिहार का सवाल है तो लालू यादव का भूतकाल और वर्तमान कौन नहीं जानता है। बृजेश शुक्ला नाम के एक ट्विटर यूजर पूछते हैं, ‘जब चोरी नहीं की है तो डर किस बात का लग रहा है?’ भगत सिंह नाम के एक यूजर ने लिखा कि जब भाजपा की हार से बाहर कर दी गई तो सीबीआई और ईडी वाला खेल चालू हो गया है।
अशोक कुमार नाम के एक यूजर लिखते हैं कि आप अपने आपको आचार्य कैसे लिखते हैं, कभी अपनी भाषा पर भी ध्यान देते हैं कि नहीं? गोपाल त्रिपाठी नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया, ‘सबसे पुरानी पार्टी के नेता की ऐसी भाषा शोभा नहीं देती है, इनको सीबीआई नर्तकी लगती है। जबान पर जरा भी लगाम ही नहीं है।’ आलोक खंडेलवाल नाम के ट्विटर यूजर ने कमेंट किया कि आपका यह ट्वीट शर्मनाक है।
आरजेडी नेताओं ने सीबीआई छापे पर दिया ऐसा बयान
छापेमारी पर राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि इस बात की पहले से ही जानकारी थी कि सीबीआई और अन्य केंद्रीय एजेंसियां छापेमारी की तैयारी कर रही हैं क्योंकि बीजेपी बिहार में सत्ता गंवाने को लेकर उग्र है। जानकारी के लिए बता दें कि लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि जब वह रेल मंत्री थे तो रेलवे में पहले अस्थाई तौर पर नियुक्त कराते थे और फिर जैसे ही जमीन की डील पूरी हो जाती थी तो नौकरी को अस्थाई कर दिया जाता था। इस मामले में सीबीआई ने 18 मई 2022 को एफआईआर दर्ज की थी। इसमें लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती समेत अन्य लोगों के नाम हैं ।