रामचरितमानस को लेकर खड़े हुए विवाद पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में जमकर बयानबाजी हो रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) और सपा (SP) पर बसपा प्रमुख मायावती (BSP Mayawati) ने भी जमकर हमला बोला है। मायावती ने सपा को अपने गिरेबां में झांकने की सलाह दी है। इतना ही नहीं, मायावती ने कहा कि सपा भी अब बीजेपी की राह पर चल रही है। अब मायावती के भतीजे आकाश आनंद (Akash Anand) ने भी ट्वीट किया है।
आकाश आनंद ने ट्वीट कर कही ये बात
आकाश आनंद ने ट्वीट किया कि तुम अपने ग्रंथ को पढ़ो हम संविधान को पढेंगे, जो बाबा साहेब का मानवता को दिया सबसे बडा ग्रंथ है। इससे पहले एक ट्वीट कर आकाश आनंद ने लिखा था कि वोट की राजनीति के चक्कर में समाजवादी पार्टी के मुखिया और उनके चमचे बाबा साहब की एक-एक बात भूल गए। ऐसे लालची मौकापरस्त ‘चमचों’ से मान्यवर साहेब और बहन जी ने हमेशा सावधान रहने को कहा है।
यूजर्स की प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर लोग आकाश आनंद के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। @dohare_k यूजर ने लिखा कि हमारे समाज और देश का भला तभी संभव है, जब लोग सबसे पवित्र ग्रंथ संविधान को पढ़ेंगे। एक यूजर ने लिखा कि संविधान पढ़ने की नहीं, अमल में लाने की जरुरत है। खाली ग्रंथो को कोसने से कोई फायदा नहीं। संविधान मे तो बहुत सारी गलतिया हैं इसलिए तो देश की आज यह हालत हैं।
@clbunkar यूजर ने लिखा कि हमारे लिए दोनों सम्मानीय हैं और दोनों को पढ़ना चाहिए। @Aashishpratap98 यूजर ने लिखा कि “जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी” आपका नारा क्यों नहीं है? @susheel07625300 यूजर ने लिखा कि बीएसपी का जनाधार गिरता जा रहा है और दलित समाज भी सपा में चला जाएगा तो घर से बाहर निकलिए ,ना जाने कितनी घटनाएं होती हैं आए दिन ,उसको लेकर आवाज बीएसपी वाले नहीं उठाते हैं।
बता दें कि मायावती ने ट्वीट कर कहा था कि देश के अन्य राज्यों की तरह उप्र में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं।’ गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी को कहा था कि श्रीरामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो निश्चित रूप से वह ‘धर्म नहीं अधर्म’ है।