तस्करी और घुसपैठ को रोकना BSF के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण काम रहा है। बांग्लादेश और भारत की सीमा पर बड़ी संख्या में घुसपैठ और तस्करी होती है, अब घुसपैठियों और तस्करों पर लगाम लगाने के लिए BSF मधुमक्खियों का सहारा लेने जा रही है। इससे ना सिर्फ घुसपैठियों पर लगाम लगेगी बल्कि स्थानीय लोगों की कमाई भी होगी।
मधुमक्खियों के जरिए बॉर्डर की सुरक्षा और घुसपैठ-तस्करी पर लगाम लगाने का यह प्रयोग अनूठा है। और संभवतः यह दुनिया में पहली बार हो रहा है। गौरलतब है कि भारत और बांग्लादेश की सीमा करीब 4 हजार किमी की है, जिसमें से लगभग 2200 किमी की सीमा पश्चिम बंगाल में लगती है। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में BSF अब मधुमक्खियों के जरिए घुसपैठ और तस्करी को रोकने पर काम कर रही है।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, BSF बॉर्डर पर Vibrant Village Programme के तहत इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इस प्रोजेक्ट के जरिए BSF बॉर्डर पर रहने वाले ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन से जोड़ेगी। इसमें BSF केंद्र सरकार की मदद ले रही है। मधुमक्खी पालन से होने वाली कमाई का हिस्सा ग्रामीणों को भी मिलेगा।
BSF फेंसिंग के पास मधुमक्खी के छत्ते लगवा रही है, ऐसे में जैसे ही कोई घुसपैठिया या तस्कर फेंसिंग को छुएगा, मधुमक्खियां हमला कर देंगी और घायल कर देंगी। ऐसे में घुसपैठिये या तस्कर को वहां से भागना पड़ेगा। इस तरह मधुमक्खियां अब बॉर्डर BSF की मदद करने वाली हैं। अगर ये सफल हो जाता है सीमा पर सुरक्षा करने में BSF को काफी मदद मिल सकती है।
इतना ही नहीं, BSF बॉर्डर पर ऐसे पौधे और फूल लगवा रही है जिससे वहां मधुमक्खियां आकर्षित हों। मधुमक्खियों से मिलने वाले शहद को BSF वाइव्स वेलफेयर असोसिएशन खरीद लेगी और फिर उसे बेच दिया जायेगा। जो भी मुनाफा मिलेगा उसमें ग्रामीणों को भी हिस्सा मिलेगा। इससे एक काम से दो काज हो सकेगा। बॉर्डर की सुरक्षा भी और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।