पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का असर दिखाई दे रहा है। चुनाव में बीजेपी को पूरी ताकत लगानी पड़ी है। खुद गृह मंत्री अमित शाह को जमीन पर उतर कर लोगों से वोट देने की अपील करनी पड़ रही है। बीजेपी के कई नेता और मंत्री पश्चिमी उत्तर प्रदेश का लगातार दौरा कर रहे हैं। सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी को किसान आंदोलन के असर का डर अभी भी है?
आजतक के एक कार्यक्रम में चर्चा के दौरान जब एंकर ने बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया से सवाल पूछा कि इस बार कैराना मुजफ्फरनगर में जाट समुदाय को साधने के साथ ही हिंदुत्व के नाम पर वोटरों को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है, क्या किसान आंदोलन का डर है? जवाब में बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि ये सौभाग्य की बात है कि हमारे पास यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हैं। अमित शाह जी , जेपी नड्डा और योगी आदित्यनाथ जी प्रचार कर रहे हैं। वहीं कई ऐसी पार्टियां भी हैं, जो जमीन पर उतर ही नहीं रही हैं। हम जमीन पर उतर कर वोट मांग रहे हैं तो इसे डर नहीं कहते हैं, इसे जनता के प्रति सम्मान कहते हैं।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि डर है समाजवादी पार्टी को, जो पलायन के आरोपी नाहिद हसन को टिकट देती है। डर है समाजवादी पार्टी को, जो बलात्कार के आरोपी मनोज पारस को टिकट देती है। जहां तक बात पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है, वहां जाट समुदाय भारी संख्या में हैं। जाट समुदाय का लगाव बीजेपी के साथ रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि मुज्जफरनगर में दंगे हुए तो जाट समुदाय के लोग अपने घर की महिलाओं की अस्मिता के लिए इंसाफ मांग रहे थे और आरोपी गिरफ्तार होते थे तो आजम खान छुड़वा रहे थे। कैराना और मुज्ज्फ्फरनगर में दंगे के बाद हिन्दूओं को प्रताड़ित करके उन्हें पलायन करने पर मजबूर किया जाता था। 2 लाख करोड़ गन्ने का भुगतान हम पिछले पांच सालों में कर कर चुके हैं। गन्ना जीतेगा या फिर सपा का जिन्ना?
सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि बीजेपी सरकार से हर आदमी परेशान हैं। युवा को नौकरी नहीं मिली, किसानों के साथ जो जुल्म हुआ, 700 किसान मारे गये। सत्ता पक्ष ने आंखे बंद रखी थी, ऐसे लगा रहा था जैसे कोई बाहरी लोग हैं। कीलें लगाई गई थी, दीवारें बनाई गई थी। अब बारी जनता की है। बीजेपी नेताओं को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है। कपड़े फाड़े जा रहे हैं। इन्होने किया ही क्या है? ये सिर्फ मोदी जी का चेहरा दिखाकर, मुसलमानों के प्रति भड़का कर ये सोचते हैं कि हिन्दुओं का वोट हम हासिल कर लेंगे? अब वो वक्त गया।
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का असर देखने को मिल रहा है। कई जगहों पर बीजेपी नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ा। जाट वोटरों और नाराज समुदायों को मनाने के लिए खुद अमित शाह नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। 10 फरवरी को पश्चिमी यूपी में वोटिंग होने वाली है, इसी के मद्देनजर सभी पार्टियां चुनावी मैदान में पूरी ताकत से उतर रही हैं।
