बिहार से एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है, यहां एक रिटायर्ड एआर फोर्स अधिकारी ने जिंदा रहते हुए गाने-बाजे के साथ अपनी अर्थी निकाली और श्मशान घाट पर प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार किया। लोगों को लगा कि भारतीय वायु सेना के सेवानिवृत्त वारंट अधिकारी मोहन लाल का सच में निधन हो गया है, इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए भीड़ जमा हो गई। हालांकि इसके पीछे की जब वजह सामने आई तो लोग हैरान रह गए। चलिए बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है?
पारंपरिक सफेद कफन में लिपटे भारतीय वायु सेना के सेवानिवृत्त वारंट अधिकारी मोहन लाल ने गया के कोंची गांव में अपना अंतिम संस्कार किया, जिससे ग्रामीण स्तब्ध रह गए। लाल ने उस श्मशान भूमि का उद्घाटन करने के लिए ये सब नाटक किया। उन्होंने माला पहना अपनी नकली अर्थी निकाली और नए श्मशान घाट का उद्घाटन करने के लिए अपना अंतिम संस्कार किया।
उन्होंने श्मशान घाट पर खुद को आग लगाने की जगह प्रतीकात्मक रूप से अपनी अर्थी का अंतिम संस्कार किया। बैकग्राउंड में “चल उड़ जा रे पंछी, अब देश हुआ बेगाना” की उदास धुनें भी बज रही थीं।
दरअसल, मानसून के मौसम में ग्रामीणों को दाह संस्कार करने में होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए लाल ने एक उचित श्मशान घाट बनवाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने इस स्थल का उद्घाटन करने के लिए यह अनोखा तरीका चुना और अपने प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार को ही पहला समारोह बनाया।
इस बारे में लाल के हवाले से कहा, “सेवानिवृत्ति के बाद भी मैं अपने गांव और समाज की सेवा करना चाहता था। गांव वालों को मेरे साथ चलते रहे, उन्हें यह लगा कि यह मेरी अंतिम यात्रा है, देखकर मेरा दिल खुशी से भर गया।” वे देखना चा्हते थे कि उनके अंतिम यात्रा में कितने लोग शामिल होना चाहते हैं।
इसके बाद प्रतीकात्मक चिता के राख में बदल जाने के बाद परंपरा के अनुसार उन्हें पास की नदी में विसर्जित कर दिया गया। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि कार्यक्रम के समापन पर, मोहन लाल ने एक सामुदायिक भोज का आयोजन भी किया।