बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, उडीसा जैसे राज्यों से बड़े पैमाने पर लोग दूसरे राज्यों में मजदूरी करने जाते हैं। पिछले दिनों तमिलनाडु में मजदूरों पर अत्याचार की खबर सामने आई थी लेकिन इसे झूठा बताकर तमाम लोगों पर कार्रवाई हुई। इसी बीच उडीसा के मजदूरों का एक मामला सामने आया है जिसमें मजदूरी ना मिलने पर उन्हें कर्नाटक के बैंगलोर से उडीसा तक का सफ़र पैदल तय करना पड़ा है।

मजदूरी ना मिलने पर पैदल चले मजदूर

पीटीआई द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बेंगलुरु में अपने हिस्से के वेतन नहीं पाने और बचत खत्म होने के बाद, तीन प्रवासी श्रमिक, केवल एक जोड़ी पानी की बोतल लेकर कोरापुट (ओडिशा) लौटे, उन्होंने लगभग 1000 किलोमीटर की दूरी तय की है, उनके पास कोई भोजन और पैसा नहीं बचा था। मजदूरों ने 26 मार्च को पैदल चलना शुरू किया था और एक सप्ताह के पदयात्रा के बाद 2 अप्रैल को कोरापुट पहुंचे। वहीं कोरापुट के पोट्टांगी ब्लॉक के पाडलगुडा इलाके में स्थानीय लोगों ने उन्हें देखा और कालाहांडी में उनके घरों तक पहुंचने में उनकी मदद की।

सोशल मीडिया पर यूजर्स की प्रतिक्रियाएं

@sayakdd28 यूजर ने लिखा कि भारत सबसे अमीर और सबसे गरीब के बीच सबसे बड़ी असमानता वाला देश है, और हम “5 ट्रिलियन इकोनॉमी” और “5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था” जैसी चमकदार और ग्लैमरस सुर्खियों को आगे बढ़ाते रहते हैं। यदि आप गरीबों का उत्थान नहीं कर सकते हैं, तो आप हमेशा इसके सार में तीसरी दुनिया के देश रहेंगे। @Singh2639 यूजर ने लिखा कि मुझे यकीन है कि वे दिन की कहीं मजदूरी करके बस या ट्रेन से वापस आ सकते थे। एक यूजर ने लिखा कि आपके लिए यही विश्वगुरु हैं! हर दिन यही कहानी होती है, अमीर अमीर होता जाता है और गरीब गरीब होता जाता है। यह निश्चित रूप से एक ऐसे देश में होगा जहां धर्म शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, भोजन आदि जैसी चीजों से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

@AnsumanPatta यूजर ने लिखा कि मेरा खून खौलता है और दिल ये देख कर रोता है। यह पिछले 75 वर्षों में राजनेताओं और सरकार ने ये हासिल है। मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं क्योंकि मैं उन्हें वोट देकर सत्ता में ला रहा हूं।
@hrFiWcYGofeW7LD यूजर ने लिखा कि ये पीएम मोदी के कवच में कौन छेद कर रहा है? @ShahabJafri55 यूजर ने लिखा कि शर्मनाक, ये दिखा रहा है कि मजदूरों और किसानों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? हम अंग्रेजों से कितने अलग हैं? एक यूजर ने लिखा कि देश में अमृतकाल चल रहा है, अच्छे दिन की बातें हो रही हैं, क्या यही है अच्छे दिन और अमृतकाल?

बताया जा रहा है कि तीनों मजदूर 12 लोगों के एक ग्रुप के साथ गए थे, इन्हें एक व्यक्ति द्वारा मजूदरी करने के लिए बैंगलोर भेजा गया था। इसके बाद उन्हें एक कंपनी में काम मिल गया लेकिन इन तीनों को पैसे नहीं दिए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब इन मजदूरों ने पैसे की मांग की तो इनके साथ मारपीट की गई और प्रताड़ित किया गया। मजदूरों ने कहा कि हम उनकी प्रताड़ना सहन नहीं कर पा रहे थे लिहाजा हम वहां वापस चले आये।