केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड के मसले पर मदरसों की बात करते नजर आ रहे हैं। टीवी इंटरव्यू के दौरान वह मदरसों को लेकर कई तरह के सवाल उठा रहे। उनका दावा है कि मदरसों में दी जा रही तालीम देश के लिए खतरनाक है। इन्हीं विषयों पर चर्चा कर रहे आरिफ मोहम्मद खान से पत्रकार बरखा दत्त ने कई सवाल किए।

आरिफ मोहम्मद खान ने उदयपुर हत्याकांड को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि यह तो केवल एक लक्षण है, जो लगातार होता आ रहा है। उन्होंने आगे कहा, ‘हमें उस जगह पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, जहां से यह बीमारी शुरू हो रही है।’ उन्होंने मदरसे का जिक्र कर कहा कि मैंने देवबंद वालों को इस विषय पर खत लिखा था लेकिन आज तक मुझे जवाब नहीं मिला है। इसके विषय पर मैंने आर्टिकल भी लिखा है और अपनी किताब में भी कई बातें लिखी हैं।

शरीयत कानून की बात करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इंसानों के लिखे कानून को खुदा का कानून बताया जाता है। उन्होंने मदरसों में पढ़ाई जाने वाली एक किताब का उदाहरण देते हुए कहा कि उसमें लिखा गया है, अगर कोई गैर – मुस्लिम इस्लाम कबूल ना करे तो उससे जंग की जाए।

बरखा दत्त ने आरिफ मोहम्मद खान से पूछा कि रूलिंग पार्टी के अंदर बड़े मुसलमान नेता का ना होना, मुसलमानों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई और नूपुर शर्मा द्वारा मोहम्मद पैगंबर को लेकर की गई टिप्पणी की वजह से ही उदयपुर जैसी घटना हुई? इस सवाल पर विफरते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘1942 से लेकर 1947 तक क्या था? जब देश के विभाजन की मांग की गई थी। क्या इस तरह का माहौल उस समय भी था?’

उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें तब कहीं जा सकती हैं, जब ऐसी घटनाएं पहली बार हो रही हो। आरिफ मोहम्मद खान ने पाकिस्तान की बात करते हुए कहा कि वहां पर भी मासूम लोगों पर गलत तरह के कानून लगा कर मार दिया जाता है, क्या वहां पर भी इस तरह की दिक्कत है? क्या यमन में जो कुछ हो रहा है वहां भी इसी तरह की परेशानी है। जानकारी के लिए बता दें कि बीजेपी से निष्कासित नूपुर शर्मा द्वारा दिए गए एक बयान का समर्थन करने पर उदयपुर में एक टेलर की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी।