कर्नाटक (Karnataka) से शुरू हुआ हिजाब पर विवाद अब पूरे देश में फैल चुका है। नेता इस पर अब खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं। कुछ हिजाब का समर्थन कर रहे हैं तो बहुत से नेता हिजाब पहनने का विरोध कर रहे हैं। हिजाब पर खड़े हुए विवाद का मामला हाईकोर्ट में है लेकिन इस पर अब खूब राजनीति हो रही है। कई जगहों पर मुस्लिम महिलाएं विरोध प्रदर्शन करने उतर पड़ी हैं। इसी बीच अब असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा का बयान भी सामने आ गया है।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि “अभी जो कर्नाटक में हो रहा है वो ज्ञान का मसला नहीं है। ज्ञान के मंदिर में धर्म का मसला है। अगर हिजाब पहनकर जाते हैं तो अध्यापक को कैसे पता चलेगा कि आपको समझ आ रहा है या नहीं? एक छात्र हिजाब पहनकर बैठेगा और दूसरा छात्र दूसरे ड्रेस में बैठेगा तो यह कैसे चलेगा? तीन साल पहले तक उस कॉलेज में तो कोई नहीं बोला था कि हिजाब पहनना है। अभी तुरंत ये मामला कहां से आ गया?”
असम के सीएम ने कहा कि “हिजाब के मामले में कोर्ट में केस होता है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में कांग्रेस का वकील केस के लिए खड़ा होता है तो ये देश को तोड़ने का षड्यंत्र है। अभी मुस्लिम समाज को शिक्षा की जरूरत है, हिजाब की नहीं। मुस्लिम बच्चियों को डॉक्टर, इंजीनियर बनाने की जरूरत है। अब असम के मुख्यमंत्री के इस बयान पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
असम के मुख्यमंत्री के इस बयान पर शाहिदुर्र रहमान ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि बिना हिजाब पहने हुए लड़की को समझ आ रहा है कि नहीं, ये टीचर जानते हैं। क्या लॉजिक है भाई? रेनू धवन नाम के यूजर ने लिखा कि टीचर को समझने के लिए दिमाग और ध्यान का होना जरूरी है ना कि हिजाब और भगवा जरूरी है।
युसूफ मेमन नाम के यूजर ने लिखा कि बोल तो ऐसे रहे हैं जैसे मुस्लिम डॉक्टर इंजीनियर को फौरन रोजगार देते हों और रही बात समझने की तो परीक्षा में तो पता चल जाता है कि किसने क्या गुल खिलाए हैं। पहले आप लोग ये राजनीति बंद कर के लोगों में नफरत फैलाने के लिए भगवा गमछा बांटना बंद करिए।
मिराज सिद्धकी नाम के यूजर ने लिखा कि जितने भी अरब देश हैं, वहां लड़की हिजाब में पढ़ती है तो क्या वहां की लड़की डॉक्टर इंजीनियर नहीं बनती हैं, कौन से दुनिया से बीजेपी ऐसे लोगों को पकड़ कर लाकर मुख्यमंत्री बना देती हैं। जो अपनी सियासत सेंकने के लिए कुछ भी बोलते रहते हैं।
गुमनाम नाम के यूजर ने लिखा कि यह मुख्यमंत्री हैं। हिजाब और बुर्के तक का अंतर नहीं मालूम। विनय नाम के यूजर ने लिखा कि हद हो गई है। अब छात्र हिजाब कब पहनने लगे? विनीत कुमार सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि हिजाब और नकाब में क्या फर्क होता है ये भी नहीं जानते लेकिन ये जानते हैं कि वे मर्द हैं और औरतों के लिए नियम बनाने का तो ठेका ही इन्हें मिला हुआ है।