कर्नाटक के हिजाब विवाद पर फैसला सुनाने वाले जजों को जान से मारने की धमकी मिली थी। इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें Y कैटेगरी की सिक्योरिटी मुहैया कराई। मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने आरोप लगाया कि उन्हें एक व्हाट्सएप वीडियो के जरिए हत्या की खुली धमकी दी गई थी। इसी विषय को लेकर एक टीवी चैनल में हो रही डिबेट के दौरान एंकर और पैनलिस्ट के बीच तीखी बहस हो गई।
दरअसल, यह डिबेट न्यूज़ 18 इंडिया के एक कार्यक्रम में हो रही थी। इस दौरान एमपीसीआई के अध्यक्ष तस्लीम रहमानी ने सबरीमाला के फैसले का जिक्र किया तो एंकर अमिश देवगन ने सवाल पूछा, ‘ सबरीमाला के फैसले के बाद किसने जज को धमकी दी थी? यहां पर तो कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को धमकी दी जा रही है?’ इस पर तस्लीम रहमानी ने कहा कि आप खुद कट्टरवादी हैं।
तस्लीम रहमानी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आप कट्टरवादी होने की वजह से ही सिलेक्टिव हो जाते हैं। तस्लीम रहमानी के आरोप पर एंकर ने चिल्लाते हुए पूछा कि मैंने ऐसा क्या कह दिया जो मैं कट्टरवादी हो गया। अपने देश से प्रेम करना कट्टरवाद हो गया है क्या? अपनी मातृभूमि की पूजा करना कब से कट्टरवादीता में आ गया है?
तस्लीम रहमानी ने इसके जवाब में कहा कि मैं आपको यहीं लाना चाह रहा था। आप देश के खिलाफ बोलते हैं। उन्होंने आगे कहा कि आपको मैं यह भी दिला दूं कि अपने संविधान में राइट टू डीसेंट भी दिया गया है। इस पर एंकर ने जवाब दिया, ‘राइट टू डीसेंट का अधिकार दिया गया है लेकिन ‘राइट टू मर्डर’ का अधिकार किसी को नहीं है। इस डिबेट पर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
यूजर्स के रिएक्शन : संजय सिंह नाम के एक यूजर लिखते हैं कि आज संवैधानिक पदों पर बैठे लोग संविधान से प्यार करने के बजाय उद्योगपति और पूंजी पतियों से प्रेम कर बैठे हैं। उन्हें संविधान पर विश्वास ही नहीं रह गया है। नारायण नाम के एक ट्विटर यूजर ने कमेंट किया, ‘ जब आपको व कट्टरवादी बोल रहे हैं तो इतना उत्तेजित होने के बजाय उन्हें कट्टरवाद की परिभाषा बताइए।’ प्रवीण ने लिखा – इस तरह के आरोप लगाने वाले लोगों को डिबेट में क्यों शामिल किया जाता है?