उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक साथ नज़र आने वाले सपा नेता और SBSP नेता अब एक – दूसरे कटाक्ष करते रहे हैं। समाजवादी पार्टी के नेता राजीव राय ने एक वीडियो के जरिये सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पर हमला बोला। जिसपर SBSP नेता अरुण राजभर ने सैफई महोत्सव का जिक्र कर पलटवार किया। जिस पर आम सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी कई तरह के कमेंट्स किये हैं।

सपा नेता ने शेयर किया ऐसा वीडियो

सपा नेता द्वारा शेयर किये गए वीडियो में दिख रहा है कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का कार्यकर्ता सम्मेलन चल रहा है। जिसमें बार – बाला डांस करती नजर आ रही हैं। इस वीडियो के साथ सपा नेता राजीव राय ने लिखा,”छड़ी की नई बैशाखी बार बाला?” इस वीडियो पर पलटवार कर SBSP नेता अरुण राजभर ने लिखा कि, “सैफई महोत्सव में कौन से ठुमका लगता था और पूरा समाजवादी कुनबा किस डांस का आनंद उठाते थे, सपा का नाम ठुमका पार्टी क्यों ना रखा जाए? सत्ता से बाहर होने के बाद क्यों नहीं सैफई महोत्सव करा पाए जनता के पैसे से डांस देखने वाले ना ही बोले कुछ अब?”

लोगों के रिएक्शन

इन दोनों के बीच हई ट्विटर – वार पर आम सोशल मीडिया यूज़र्स भी कई तरह के कमेंट कर रहे हैं। कुछ लोगों ने सपा नेता का साथ दिया तो वहीं कुछ लोगों ने अरुण राजभर के समर्थन में अपनी प्रतिक्रिया दी है। सपा नेत्री नेहा यादव ने कमेंट किया,”महिलाओं के प्रति छड़ी पार्टी की भावनाएं साफ दिखाई दे रही हैं। इसीलिए ये लोग कुसंस्कारी व्यवहार के धनी है।अतः इनको अपनी पार्टी और स्वयं में संस्कारों का लाना बेहद जरूरी है।” अभषेक आनद नाम के एक यूज़र द्वारा लिखा गया,”पिछड़ों दलितों के उद्धार की बात करते-करते अब नाच गाने पर आ गए। ऐसे ही आप सब की नौटंकी देखकर जनता अपना खत्म कर देगी। अब आप लोगों को राजभर समाज पूरा समझ चुका है।”

अहमद राजा नाम के एक यूज़र ने लिखा,”देश तेजी से बढ़ रहा है।” रविंद्र शुक्ला नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया कि एसी से निकलकर कड़ी धूप में जनता के लिए संघर्ष करते हुए ओपी राजभर ज़ी के मजबूत सिपाही। राजीव सिंह नाम के एक यूज़र ने पूछा,”कार्यकर्ता सम्मान का स्तर गिरा है? या राजनीति का?” सूरज त्रिपाठी नाम के यूज़र ने लिखा कि ऐसे लोग महिलाओं को क्या सम्मान देंगे? जो भीड़ के लिए डांस करवा रहे हैं।

जानकरी के लिए बता दें कि मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई में महोत्सव का आयोजन किया जाता था। जिसमें कई नामचीन कलाकार सैफई उत्सव में आकर समां बांधते थे। सैफई महोत्सव को लेकर विपक्षी दलों द्वारा कई तरह के सवाल उठाये जाते थे।