डीजीपी मुकुल गोयल को हटाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। योगी सरकार ने शासकीय और विभागीय कार्यों की अवहेलना और पुलिसिंग में ध्यान नहीं देने की वजह से मुकुल गोयल को नियुक्ति के 11 महीने के अंदर ही हटा दिया। इस पर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर तंज कसा है।

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि “उप्र के DGP को ये आरोप लगाकर हटाना कि वो शासकीय कार्य की अवहेलना करते थे, विभागीय कार्य में रुचि न लेते थे व अकर्मण्य थे, बेहद बचकाने बहाने हैं। इससे पुलिस बल का मनोबल गिरा है। क्या उनकी नियुक्ति के समय उनकी योग्यता की जांच नहीं की गयी थी, ऐसे में उनका चयन करने वाले भी दोषी हुए।”

लोगों की प्रतिक्रियाएं: रश्मि यादव नाम की यूजर ने लिखा कि ‘अखिलेश यादव जी, इस तरह तो आपके कार्यकाल में आठ डीजीपी प्रदेश के बदले थे। जिनमें कुछ रिटायर तो कुछ तो आप ने अपनी बचकानी और कानून व्यवस्था संभाल नहीं पाने की नाकाबलियत के लिए हटाया था। इससे पुलिस बल का  मनोबल गिरा था या बढ़ा था, बताने का कष्ट करेंगे।’ शशांक ओझा नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अखिलेश जी जनता ने भी तो 2012 में आपको चुना था लेकिन 2017,2022 में आपको नकार दिया। इसका मतलब आपको 2012 में चुनने वाली जनता दोषी थी/है?’

ओम प्रकाश तिवारी नाम के यूजर ने लिखा कि ‘महोदय,मनोबल तब गिरता है, जब भरी सभा में पुलिस वालों को” ये पुलिस,ओ पुलिस,तुम बहुत बदतमीजी हो” कहा जाता है।’ अनूप सागर नाम के यूजर ने लिखा कि ‘किसी प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर विपक्षी दल का एजेंट होने का आरोप लगाकर हटा देना, यह दर्शाता है कि योगीजी को माननीय अखिलेश जी से कितना डर लगता है, ये EVM चोरों की सरकार है । जनता की सरकार नहीं है , इस लिए डरती है।’

सुनीत नाम के यूजर ने लिखा कि ‘हटाया उनको गया, दर्द इनको हो रहा है, आखिर मामला क्या है?’ यशपाल नाम के यूजर ने लिखा कि ‘आपको क्यों तकलीफ हो रही है, शासन चलाना आपके हाथ में नहीं है। जिसके हाथ में है वह अच्छे से चला रहा है और यह दिख भी रहा है इसलिए किसी नाटक का कोई फायदा नहीं।’ दिनेश पन्त नाम के यूजर ने लिखा कि “ए पुलिस” कह कर मंच से चिल्लाने वाले पुलिस के मनोबल के बारे में ज्ञान न ही बांटे तो अच्छा है।’