समाजवादी पार्टी के मुखिया व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव और रामपुर तथा आजमगढ़ लोकसभा सीट के उपचुनाव में सपा को मिली हार के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि अगर आयोग ने ईमानदारी से काम किया होता तो नतीजे कुछ और होते। अखिलेश के आरोप पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तंज कसा है।
सपा प्रमुख ने लगाया यह आरोप
समाजवादी पार्टी के मुखिया ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव के दौरान इलेक्शन कमीशन ने बहुत बेईमानी की, बड़ी संख्या में वोटर्स के नाम मतदाता सूची से गायब कर दिए गए थे। रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा कार्यकर्ताओं को वोट नहीं डालने दिया गया जबकि आजमगढ़ में सपा कार्यकर्ताओं को रेड कार्ड जारी कर दिए गए। उन्होंने पूछा कि क्या उस समय चुनाव आयोग सो रहा था। हमारी शिकायतों पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया?
अखिलेश के बयान पर केशव प्रसाद मौर्य का पलटवार
अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया तो केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए हमला बोला। उन्होंने लिखा, ‘ श्री अखिलेश यादव जी की हालत 2014, 2017, 2019 और 2022 के चुनाव हारने के बाद खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली हो गई है। 2012 में सपा सरकार बनी तो चुनाव आयोग सही, जब जनता ने इनके कारनामों को देख इन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका तो चुनाव आयोग गलत हो गया। भगवान इन्हें सद्बुद्धि दें।’
सोशल मीडिया यूजर्स के रिएक्शन
रोहित कुमार राय नाम के ट्विटर यूजर कमेंट करते हैं कि हार के सदमे से अभी भी अखिलेश यादव निकल नहीं पाए हैं। वैसे अगर चुनाव में इलेक्शन कमिशन गड़बड़ी कर रहा है तो उस हिसाब से लोकसभा चुनाव 2024 भी आप जीत नहीं पाएंगे। अंजलि नाम की एक ट्विटर यूजर अखिलेश की बातों का समर्थन करते हुए कमेंट करती हैं, ‘ये बात तो अखिलेश यादव की जनसभा में आने वाली भीड़ से ही पता चल गया था कि सपा की सरकार आने वाली है लेकिन क्या हुआ? जनता सब जानती है।
धीरज उपाध्याय नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं कि अखिलेश यादव को अपने नवरत्नों के बजाय कार्यकर्ताओं से बात कर 2024 की रणनीति पर काम करना चाहिए। दोषारोपण और गठबंधन से कुछ भी होने वाला नहीं है। उत्तम यादव नाम के टि्वटर यूजर ने केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट पर तंज कसते हुए लिखा, ‘अभी तो चुनाव हारे हैं, इसका मतलब जनता ने आपको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया है क्या?’