चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में जाने की अटकलों पर तो विरान दिया लेकिन उन्होंने ऐलान किया कि वह बिहार के लोगों से जुड़ने के लिए 2 अक्टूबर से पदयात्रा करेंगे। अपनी राजनीति की संभावनाओं के विषय पर प्रशांत किशोर ने हाल में ही एक टीवी चैनल से बातचीत की। जिनमें उनसे कई तरह के सवाल किए गए।

दरअसल, प्रशांत किशोर ‘एबीपी न्यूज़’ समाचार चैनल पर इंटरव्यू दे रहे थे। इस दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कहा कि पिछले 30 सालों से बिहार में इन दोनों लोगों की ही सरकार है। इन दोनों ही नेताओं के समर्थकों का दावा है कि हमने सामाजिक न्याय और आर्थिक स्थिति बेहतर की है। उन्होंने कहा कि इन दोनों नेताओं के दावे में थोड़ी बहुत सच्चाई जरूर है।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि दावे के बीच यह भी है कि बिहार देश का सबसे ज्यादा गरीब राज्य है। प्रशांत किशोर ने कहा बिहार में नई सोच और नए काम की जरूरत है। जिस पर प्रशांत किशोर से सवाल किया गया कि आपने 2015 में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को एक किया था, दोनों ही नेताओं को साथ चुनाव में जीत दिलाई। जिसके बाद उन दोनों को धोखा देकर चले गए?

इसके जवाब में प्रशांत किशोर ने कहा कि 2015 के महागठबंधन का अगर आप घोषणा पत्र देखेंगे तो वह सामान्य घोषणा पत्र नहीं दिखेगा। जो आज भी बिहार सरकार का एजेंडा है, उस दौरान मेरी टीम ने 40 हजार गांव का सर्वे किया गया था। जिसमें सामने आया था कि गांव के लिए आगे क्या किया जाए। उसी सर्वे के तहत कई तरह की योजनाएं भी बनाई गईं। आगे कहा कि मैं सरकार में तो था नहीं, उसमें कितना काम किया गया। इतनी जानकारी नहीं है।

उन्होंने आगे बताया कि 2015 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मैं सीधा जेडीयू से नहीं जुड़ा था, मैंने 2018 में सरकार नहीं बल्कि दल ज्वाइन किया था। प्रशांत किशोर का मानना है कि सरकार के मामले में उन्हीं को हस्तक्षेप करना चाहिए, जो उस सिस्टम का हिस्सा है। अपनी गलती स्वीकार करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर पार्टी में रहते कोई काम नहीं हुआ तो उसके लिए मैं दोषी हूं।