उत्तर प्रदेश में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल द्वारा निकाली जा रही तिरंगा यात्रा पर आप नेता और पूर्व पत्रकार आशुतोष ने टिप्पणी की है। आशुतोष ने लिखा है कि अच्छा है कि बजरंग दल ने आखिरकार तिरंगे को अपनाया, वर्ना पहले तो बजरंग दल से जुड़ी संस्था आरएसएस ने तिरंगे को अस्वीकार ही कर दिया था। आशुतोष ने ट्वीट किया, ‘ये अच्छा है कि बजरंग दल ने आखिरकार तिरंगा स्वीकार कर ही लिया और तिरंगा फहराने लगे है वर्ना बजरंग दल की पित्र संस्था आरएसएस ने आज़ादी के समय तिरंगा को अस्वीकार कर दिया था, अशुभ कहा था और २००२ तक नागपुर मुख्यालय पर तिरंगा नही फहराया।’ बता दें कि बुधवार (31 जनवरी) को आगरा और फिरोजाबाद में वीएचपी और बजरंग दल ने तिरंगा यात्रा निकाली और कासगंज हिंसा में मारे गये चंदन गुप्ता के परिवार वालों के लिए 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की। आप नेता आशुतोष के इस ट्वीट पर लोगों ने उन्हें ही ट्रोल कर दिया।

राजेन्द्र मित्तल नाम के यूजर ने गुस्से में लिखा, ‘2002 से पहले सिर्फ सरकारी भवन पर तिरंगा फहराया जा सकता था। नवीन जिन्दल से सुप्रीम कोर्ट में केस जीता उसके बाद निजी भवन पर तिरंगा फहराने की अनुमति कोर्ट दी। तू क्यों गुमराह कर रहा है 2002 के देश के सभी संघ कार्यालय पर तिरंगा फहराया जा रहा है।’ एक यूजर ने लिखा, ‘मुस्लिम लीग, कम्यूनिस्ट, और बहुत से आज तक नहीं फहराते हैं, नाम लो न, जामा मस्जिद में फहराया जाता है।’

नीतेश नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मदरसों की सारी दीवार तिरंगे से ही रंगीं हो, कम से कम मन का कालापन तो हटा लो सर।’ एक यूजर ने आशुतोष का ध्यान हिन्दी में लिखी एक गलती की ओर आकर्षित करवाया, सागर नहर ने लिखा, ‘अंग्रेजी नहीं आती तो गलती हो जाती है, परन्तु हिन्दी में भी? पित्र नहीं पितृ होता है। इतना सही लिखना भी नहीं आता? एक यूजर ने कहा कि आप के पूर्व संस्थापको में से एक प्रशांत भूषण ने कश्मीर में जनमत संग्रह की बात की थी तब केजरीवाल चुप क्यों बैठे थे, देश का झंडा कौन फहराता है या कौन नही फहराता कोई फर्क नही पड़ता पर जो देश को अंदर से तोड़ना चाहते है उन से फर्क पड़ता है। एक यूजर ने लिखा है, ‘मूर्ख क्या 2002 से पहले निजी भवनों पर तिरंगा फहराने की अनुमति थी।’ एक यूजर ने लिखा, ‘ कांग्रेस ने नेशनल फ्लैग कोड को 1950 में लागू कर दिया था, और तिरंगा फहराना अपराध की श्रेणी में आ गया, इसके बाद सिर्फ सरकारी इमारतों पर फहराया जा सकता था, 2002 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2002 के बाद संघ लगातार तिरंगा फहराता आ रहा है।’