उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों पर चुनाव होना है, समाजवादी पार्टी द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा के बाद से ही उनके गठबंधन में दरार पड़ने लगी है। महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य (Keshav Dev Maurya) ने सपा गठबंधन से खुद को अलग करते हुए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब सपा को मेरी जरूरत ही नहीं है तो गठबंधन का क्या फायदा?
सपा गठबंधन का साथ छोड़ने के बाद केशव देव मौर्य ने एक टीवी चैनल से बात की। पत्रकार ने जब उनसे सवाल किया कि क्या स्वामी प्रसाद मौर्य को अखिलेश यादव आप से ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं? केशव देव ने जवाब दिया, ‘ बिल्कुल ऐसा ही हुआ है, जहां पर मौर्य समाज बहुत अधिक संख्या में थे। वहां पर केवल स्वामी प्रसाद मौर्य की रैली कराई गई, मुझे वहां पर नहीं बुलाया गया।’ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने दावा किया कि अगर मुझे ज्यादा तवज्जो दी गई होती तो समाजवादी पार्टी की सरकार बनती।
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले 8 सीटें देने का वादा किया गया था लेकिन केवल 2 सीट दी गई थी। केशव देव मौर्य ने यह भी कहा कि अगर इस बात की जानकारी मुझे पहले दी गई होती तो मैं अपने परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट दिलवा था और दूसरा किसी और को देने को कहता। उन्होंने कहा कि अगर मैं हार की समीक्षा करूं तो हम लोगों ने थोड़ा और पैसा खर्च किया होता तो चुनाव जीत जाते।
केशव मौर्य ने कहा कि वह MLC का टिकट चाहते थे, लेकिन उन्हें नहीं दिया गया। आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उन्हें राज्यसभा दी जा सकती है तो मुझे एमएलसी का टिकट क्यों नहीं दिया जा सकता था। उन्होंने कहा कि मैं ईमानदारी से रह रहा था, उसके बावजूद भी यूपी चुनाव में ज्यादा सीट भी नहीं दी गई।
उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले अखिलेश यादव से मुलाकात करने के बाद केशव देव मौर्य ने कहा था कि उन्हें एटा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को कह दिया जाए। इस बार अखिलेश यादव ने मना किया था और कहा था कि तुम फर्रुखाबाद सीट से चुनाव लड़ सकते हो। केशव देव मौर्य ने कहा कि इस वादे के बाद अखिलेश यादव ने फर्रुखाबाद में सपा के एक व्यक्ति को प्रभारी बना दिया।