उत्तर प्रदेश सरकार ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले पर एआईएमआईएम प्रवक्ता असदुद्दीन ओवैसी ने कई तरह के सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि यह छोटा एनआरसी है। इस विषय को लेकर समाचार चैनलों पर चर्चा भी हो रही है। एक ऐसी ही डिबेट के दौरान एंकर ने ओवैसी से सवाल किया कि वह मदरसों के आधुनिकीकरण के खिलाफ क्यों हैं? जिसका उन्होंने जवाब दिया।
एंकर ने किए ऐसे सवाल
‘आज तक’ न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी से एंकर अंजना ओम कश्यप ने पूछा, ‘मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस बात की जांच करना छोटा एनआरसी कैसे हो सकता है?’ इसके जवाब में ओवैसी ने कहा कि इस जांच के बाद का डाटा जमा करके यह क्या करेंगे, उसका इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ किया जाएगा। ओवैसी ने योगी सरकार पर बरसते हुए कहा कि यह मुसलमानों से कह दे कि वह नमाज ही ना पढ़ें और मुसलमान भी ना रह जाए।
एंकर ने पूछा – मदरसों के आधुनिकरण के खिलाफ हैं आप?
ओवैसी के जवाब के बाद एंकर ने उनसे पूछा कि आप नहीं चाहते हैं कि मदरसों का आधुनिकरण किया जाए, वरना लोगों की पढ़ाई लिखाई में कमी कैसे रहेगी। जिसकी वजह से आप मुसलमानों के मसीहा नहीं बन पाएंगे? AIMIM प्रमुख ने इस पर जवाब दिया, ‘मैंने संसद में कई बार कहा है कि मुसलमान बच्चों को मिलने वाले स्कॉलरशिप को बढ़ाया जाए लेकिन इस बार मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया।’
मोदी सरकार ने नहीं दिए हैं मदरसों को पैसे – बोले ओवैसी
ओवैसी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने मदरसों के आधुनिकरण के लिए 500 करोड़ रुपए नहीं दिए हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘यूपी में पिछले 5 सालों में मदरसों के अध्यापकों को केवल 4 महीने की तनख्वाह दी गई है।’ ओवैसी ने आगे बढ़ाते हुए कहा कि ऐसा मैं नहीं कर रहा हूं, ऐसा सरकार के द्वारा किया जा रहा है।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
गौरव कुमार नाम के एक यूज़र ने सवाल किया कि हर बात का विरोध क्यों करना है, सर्वे करने से क्या होता है। क्या देश में जनसंख्या पर सर्वे नहीं होते असदुद्दीन ओवैसी? कृष्णकांत नाम के एक यूजर ने लिखा – एनआरसी से इतनी घबराहट क्यों हो रही है? कोई गड़बड़ नहीं है तो होने दो क्या फर्क पड़ता है। मदरसों की फंडिंग और आतंकी कनेक्शन पर भी तो बोलिए। अभिनव त्रिपाठी नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि सरकार मुसलमानों को डराने का प्रयास कर रही है, ऐसा करना खतरे से खाली नहीं है।