कानपुर के बेगमगंज इलाके में हुई हिंसा के मामले में पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी है। कानपुर की पुलिस कमिश्नर ने इस मामले पर कहा है कि मोबाइल की जांच पर पता चला है कि पीएफआई की कुछ सामग्री मिली है, इस चिंता में पिया फाई कनेक्शन से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस विषय पर हो रही एक टीवी डिबेट के दौरान एंकर चित्रा त्रिपाठी और AIMIM प्रवक्ता असीम वकार के बीच बहस हो गई।
दरअसल, डिबेट के दौरान एंकर चित्रा त्रिपाठी ने कहा, ‘ देश में कहीं भी हिंसा होती है तो उसका लिंक PFI से जरूर जुड़ा हुआ मिलता है। क्या वक्त आ गया है कि पर कोई कड़ी कार्रवाई की जाए।’ वकार ने जवाब देते हुए कहा कि वह PFI का नहीं बल्कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के प्रवक्ता हैं। ऐसी मजबूरी है कि आप लोग ऐसे सवाल पूछते हैं तो जवाब देना पड़ता है।
इस पर एंकर ने चिल्लाते हुए पूछा कि आप बता दीजिए कौन से सवाल पूछूं? AIMIM प्रवक्ता ने इस पर कहा कि PFI की जांच हो गई है, उसके फंड की भी जांच की गई थी। अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि एक यति नरसिंहानंद नाम का एक व्यक्ति है जो मुस्लिम लोगों के खिलाफ बोलता रहता है और जेल भी गया है। आपने उसके फंड की जांच क्यों नहीं की? आपने उसे कभी अपने चैनल पर दिखाया हो तो बता दीजिए।
एंकर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उससे जुड़ी हुई हर खबर दिखाई गई है और आप लोग अपना नजरिया सही करिए। AIMIM प्रवक्ता ने जवाब में कहा कि आप लोगों में दूसरों की बात सुनने की क्षमता नहीं है, मैं तो आपकी हर बात सुन रहा हूं। मुझे यहां पर अपनी बात रखने के लिए ही बुलाया गया है। एंकर ने कटाक्ष पर कहा कि आप इस पूरी खबर देखते नहीं है, बिना खबर देखे ही आरोप लगा देंगे। जो खबर आएगी उसे ही बताएंगे, अपने मन से नहीं बोलेंगे।
जानिए PFI के बारे में : पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को इस चरमपंथी इस्लामी संगठन माना जाता है। इस संगठन का गठन 2006 में एनडीए फनी नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के मुख्य संगठन के तौर पर किया गया था। साल 2012 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने पीएफआई की गतिविधियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। यूपी के योगी आदित्यनाथ सरकार पीएफआई को कई बार बैन कराने की मांग भी कर चुकी है।