किसी बेरोजगार को जब नौकरी मिलती है तो उसे ऐसा लगता मानो उसे सब मिल गया, खासकर जब वह पहली जॉब हो। वह निकल जाता है अपने सपनों के साथ अपनी जरूरतों और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए। महाराष्ट्र के पुणे की एक लड़की की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। 26 साल की चार्टेड अकाउंटेंट की मौत हो चुकी है। युवती की मां ने भावुक पत्र लिखकर बेटी के बॉस पर आरोप लगाया है। मां ने पत्र में बॉस को फटकार लगाई है। यह पत्र पढ़कर कोई भी इमोशनल हो सकता है।
मां ने आरोप लगाया है कि बेटी के बॉस ने उसे काम का इतना प्रेशर दिया कि वह मर गई। मां ने लिखा है कि मेरी बेटी की EY India कंपनी में पहली नौकरी लगी थी। उसके ऊपर काम का काफी दबाव था। वह दिन रात काम में लगी रहती थी। उसे रात में भी सुकून नहीं था। वह वीकेंड पर भी काम करती रहती थी। बॉस ने उससे इतना काम लिया कि वह तनाव में जीने लगी। उसकी नींद पूरी नहीं होती थी, वह टाइम से खा नहीं पाती थी। उसके ऊपर हर समय काम का प्रेशर डाला जा रहा था। आखिर में वर्क प्रेशर के कारण उसकी मौत हो गई।
मार्च 2024 में ज्वाइन की थी कंपनी
मां के पत्र के अनुसार, लड़की ने मार्च 2024 में ही ईवाई पुणे में नौकरी ज्वाइन की थी। नौकरी पाकर वह बहुत खुश थी मगर इकी जॉब के कारण जुलाई में उसकी जान चली गई। मां ने अब जब भावुक पत्र शेयर किया तो मामले ने तूल पकड़ लिया है। लड़की जहां काम करती थी वह अकाउंटिंग के चार सबसे बड़े कंपनियों में से एक है।
सीए एना सेबेस्टियन पेरायिल की कहानी जानकर होगा अफसोस
सीए एना सेबेस्टियन पेरायिल केरल की रहने वाली थीं। जिनकी मौत अधिक काम करने के कारण हुई थी। बेटी की मौत के बाद पेरायिल की मां अनीता ऑगस्टीन ने इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेमानी को इस संबंध में एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने बेटी के लिए न्याय की मांग की है। उन्होंने काम के लिए अधिक प्रेशर बनाने पर कंपनी की निंदा की और काम कराने के तरीके में बदलाव की मांग की है। उन्होंने पत्र में बताया है कि कैसे उनकी बेटी वर्क लोड के कारण परेशान रहती थी। यह पत्र अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लोग तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं।
मां के वायरल पत्र के अनुसार, यह उनकी बेटी की पहली नौकरी थी। वह कंपनी की उम्मीदों पर खरी उतरने के लिए दिन रात मेहनत कर रही थी। वह लाइफ में काफी कुछ कर सकती थी। वह होनहार थी। हालांकि उसकी काम करने की इस कोशिश ने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से उसे कमजोर कर दिया। उसकी मां के अनुसार, ज्वाइनिंग के तुरंत बाद वह टेंशन में थी। उसे नींद नहीं आती थी, वह टेंशन में जीने लगी मगर उसने इन सभी चीजों को दरकिनार कर काम करना जारी रखा। मां ने दावा किया कि उसके कई सहकर्मियों ने रिजाइन दे दिया मगर उसने काम करना जारी रखा।
मैनेजर पर आखिर में काम देने का आरोप
मां ने आगे आरोप लगाया है कि उसका मैनेजर क्रिकेट मैच के कारण मीटिंग पोस्टपोन कर देता था और आखिर में काम सौंपता था। इस कारण उसका स्ट्रेस बढ़ जाता था। एक नेता ने मजाक में उससे यह कहा था कि अपने मैनेजर के अंडर काम में बहुत परेशानी होगी और यह सच साबित हो गया। उसका मैनेजर उसे मौखिक रूप से एक्स्ट्रा काम देता था। मैं उससे कहती थी कि वह इस तरह काम न करें मगर वह मैनेजर के दबाव में लगी रहती थी। उसे वीकेंड में भी सांस लेने का मौका नहीं मिलती था।
कहता था रात में काम करो
ऑगस्टीन ने अपने पत्र में एक घटना का भी जिक्र किया है। बेटी के बॉस ने उसे रात में एक काम सौंपा था, जिसकी टाइमलाइन सुबह थी। उसके मैनेजर ने उसे एक बार रात के समय में भी काम के लिए बुलाया था। उसके पास आराम करने का भी समय नहीं थी। उसने जब मैनेजर से अपनी परेशानी बताई तो उसने कहा था कि ‘आप रात में काम कर सकते हैं, हम सब यही करते हैं’।
ऑफिस से लौटते ही थककर बिस्तर पर गिर जाती थी
उन्होंने अपनी बेटी की हालत के बारे में बयां किया है कि वह काम से पूरी तरह से थककर अपने कमरे में लौटती थी। कभी-कभी वह अपने कपड़े बदले बिना ही बिस्तर पर गिर जाती थी। वह काम को समय से पहले पूरी करने की कोशिश करती थी। वह एक लड़ाकू थी, आसानी से हार मानने वाली नहीं थीं। हमने उससे नौकरी छोड़ने के लिए कहा, लेकिन वह कुछ नया सीखने का अनुभव हासिल करना चाहती थी। हालांकि, “काम का अधिक दबाव उसके लिए भी बहुत खतरनाक साबित हुआ।”
क्या यह अधिकारों का हनन नहीं?
पत्र में दावा किया गया है कि वह काम के मामले में काफी प्रोफेशनल थी। वह जानती थी कि कैसे ना कहना है मगर नए माहौल में खुद को साबित करने की कोशिश कर रही थी। उसके पास इतने प्रेशर में काम करने का एक्सपीरियंस नहीं था। इस तरह उसने खुद को काम में पूरी तरह से झोंक दिया। अब वह हमारे साथ नहीं है। ऑगस्टीन ने अपने लेटर में पूछा है कि क्या कोई सच में इस तरह जी सकता है, क्या उसके अधिकारों का हनन नहीं है?
इस घटना को “वेक-अप कॉल” के रूप में ले इसे कंपनी
दुखी मां ने कहा कि उनकी बेटी की मौत को कंपनी के लिए “वेक-अप कॉल” के रूप में काम करना चाहिए। यह कंपनी में काम करने वाले लोगों के लिए सार्थक कदम उठाने का सही समय है। ऑगस्टिन ने आगे यह भी दावा किया कि ईवाई पुणे के कर्मचारी उनकी बेटी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए।
सीने में दर्द की थी शिकायत
उन्होंने आगे दावा किया है, “जिस कर्मचारी ने अपनी आखिरी सांस तक आपके कंपनी को अपना सब कुछ दिया, उसके अंतिम संस्कार में कर्मचारी शामिल नहीं हुए यह बेहद दुखद है। मां के पत्र के अनुसार, उसकी मौत से कुछ दिन पहले उसके सीने में दर्द की शिकायत थी।
“हम उसे पुणे के अस्पताल ले गए। उसका ईसीजी सामान्य था। डॉक्टर ने हमसे कहा कि उसकी नींद पूरी नहीं हो रही है और वह खाना लेट खा रही है। उन्होंने हमें बताया था कि उसे कोई गंभीर समस्या नहीं है। अंत में काम के दबाव के कारण उसकी जान चली गई।”
